उफनती नदी को लकड़ी के सहारे पार करती महिलाओं का वायरल वीडियो गलत दावे के साथ किया जा रहा शेयर,जानें इसकी सच्चाई
फैक्ट चैक उफनती नदी को लकड़ी के सहारे पार करती महिलाओं का वायरल वीडियो गलत दावे के साथ किया जा रहा शेयर,जानें इसकी सच्चाई
डिजिटल डेस्क, भोपाल। सोशल मीडिया पर दो बड़ी चट्टानों के बीच तेज रफ्तार से बहती नदी को एक पतली सी लकड़ी पर चल कर पार करती हुई महिलाओं का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है महिलाओं ने अपने सिर पर स्टील के मटके रखे हैं,जिन्हें लेकर वह एक ओर से दूसरी तरफ जा रही हैं। वहीं एक महिला तो मटके के साथ अपने मासूम बच्चे को लेकर नदी के पार करते हुए दिखाई दे रही है। इस वीडियो को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के कैथी का बताया जा रहा है।
लोगों ने वीडियो को शेयर करते हुए सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं को अपनी जान हथेली पर रखकर पानी भरने जाना पड़ता हैं। एक ट्विटर यूजर ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा- चौंकाने वाली घटना, यहां महिलाएं पानी के लिए अपना जीवन खतरे में डालती हैं उत्तर प्रदेश कैथी"।
इस वीडियो को कई लोगों ने शेयर किया और सरकार पर निशाना साधा। भास्कर हिंदी की टीम ने जब इस वीडियो की सच्चाई का पता लगाने की कोशिश की तो पता चला कि यह वीडियो जिस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है वह पूरी तरह से फर्जी है, यह वायरल वीडियो उत्तरप्रदेश का नहीं बल्कि महाराष्ट्र का काफी पुराना वीडियो है।
कैसे लगा सच्चाई का पता?
वायरल वीडियो के बारे में विस्तार से जानने के लिए जब खोजबीन की गई तो यह वीडियो मराठी वेबसाइट सकाल के यूट्यूब चैनल देखने को मिला। इसे 21 जुलाई 2022 को नासिक में तास नदी पर बना लोहे का पुल बह गया इस हेडलाईन के साथ चैनल पर पोस्ट किया गया है।
वहीं वायरल वीडियो के बारे में ईटीवी भारत ने भी 27 जुलाई को एक रिपोर्ट छापी थी। जिसमें यह बताया गया था कि वीडियो नासिक के शेंद्रीपाडा गांव का है।मिली जानकारी के मुताबिक लकड़ियों के सहारे तास नदी को पार करती हुई महिलाओं का एक और वीडियो जनवरी में फिर से वायरल हुआ था। जिसके बाद वीडियो पर संज्ञान लेते हुए महाराष्ट्र के वर्तमान कैबिनेट मिनिस्टर आदित्य ठाकरे ने उस जगह पर लोहे का एक पुल बनवाया था। उन्होने पुल की फोटो अपने ट्विटर पर भी शेयर की थी।
काही आठवड्यांपूर्वी, शेंद्रीपाडा येथील आदिवासी महिलांना पाण्यासाठी आपला जीव धोक्यात घालावा लागत असल्याचे वृत्त पाहिले. त्याची दखल घेऊन २ दिवसात, आम्ही त्यांच्यासाठी मजबूत पूल बांधला. आता जल जीवन अभियानांतर्गत ३ महिन्यांत येथील सर्व १३ पाड्यांना नळांद्वारे पाणी देण्याचे ध्येय आहे. pic.twitter.com/ExjN7nsyqy
— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) January 28, 2022
आजतक की खबर के मुताबिक जुलाई के महीने में इस इलाके में बाढ़ आने के कारण लोहे का पुल बह गया था। बाद महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आदेश पर पुल का दोबारा सुधार कार्य करवाया गया।