टोविनो थॉमस और लिजो जोस ने लगाए मलयालम इंडस्ट्री के सम्मान में चार चांद, विदेशों में भी हो रही चर्चा

मलयालम फिल्म इंडस्ट्री टोविनो थॉमस और लिजो जोस ने लगाए मलयालम इंडस्ट्री के सम्मान में चार चांद, विदेशों में भी हो रही चर्चा

Bhaskar Hindi
Update: 2022-04-30 09:30 GMT
टोविनो थॉमस और लिजो जोस ने लगाए मलयालम इंडस्ट्री के सम्मान में चार चांद, विदेशों में भी हो रही चर्चा
हाईलाइट
  • टोविनो थॉमस और लिजो जोस ने लगाए मलयालम इंडस्ट्री के सम्मान में चार चांद
  • विदेशों में भी हो रही चर्चा

डिजिटल डेस्क, तिरुवनंतपुरम। मलयालम फिल्म इंडस्ट्री, जो मातृभाषा बोलने वाले दर्शकों तक ही सीमित थी, अब मिन्नल मुरली, मार्कर: द अरेबियन सी जैसी फिल्मों के साथ इंटरनेशनल स्तर पर धमाल मचा रही है। युवा निर्देशक लिजो जोस पल्लीसरी द्वारा चुरुली और जल्लीकट्टू जैसी फिल्मों को कान्स फिल्म फेस्टिवल में आमंत्रित किया गया है।

हाल के दिनों में जिन अन्य फिल्मों ने छाप छोड़ी है, वे हैं ग्रेट इंडियन किचन और सुपर शरण्या।

मिन्नल मुरली एक फंतासी फिल्म है। जिसमें मलयालम एक्टर टोविनो थॉमस सुपरहीरो की भूमिका निभाते हुए नजर आए। सुपरहीरो के रूप में उन्हें न सिर्फ देश से लोकप्रियता हासिल हुई, ब्लकि विदेशी फैंस भी जमकर तारीफ की।

टोविनो थॉमस ने आईएएनएस को बताया, मिन्नल मुरली एक सपना था, जो मेरे करियर को सातवें आसमान पर ले गया। मैं डायरेक्टर बासिल जोसिफ को धन्यवाद देता हूं। जिन्होंने ऐसी फिल्म बनाने के बारे में सोचा, जो वैश्विक मंच पर काफी पसंद की जा रही है।

वहीं फिल्ममेकर लिजो जोस पल्लीसरी की फिल्में जल्लीकट्टू और चुरुली कान्स फिल्म फेस्टिवल में एंट्री करने में कामयाब रही।

लिजो जोस पल्लीसरी ने आईएएनएस को बताया, हम फिल्म के सभी पहलुओं पर ध्यान देते है। सभी फिल्में असल जिंदगी पर आधारित होती है।

जियो बेबी द्वारा निर्देशित द ग्रेट इंडियन किचन, जिसने केरल समाज के रीति-रिवाजों और परंपराओं के खिलाफ आवाज उठाई। यह ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सुपरहिट रही। फिल्म को केरल राज्य फिल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला और जियो बेबी ने बेस्ट स्क्रीनप्ले का पुरस्कार जीता।

गिरीश ए.डी. द्वारा निर्देशित कॉमेडी फिल्म सुपर शरण्या में एक इंजीनियरिंग छात्रा शरण्या की कहानी को दिखाया गया है। जो एक बुजुर्ग व्यक्ति के साथ प्रेम संबंध में है। घटनाओं को फिल्म में शानदार ढंग से दिखाया है। यह फिल्म सिनेमाघरों में और बाद में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई और सुपरहिट साबित हुई।

कई युवा डायरेक्टर्स, जो इंजीनियर, डॉक्टर, बैंकर और शिक्षक रह चुके हैं, अब स्क्रीप्ट राइटर और डायरेक्टर की भूमिका निभा रहे हैं और लोगों के दैनिक जीवन पर आधारित फिल्में बना रहे हैं।

निर्देशकों की नई सोच गहरी कल्पना और मेहनत के कारण इंडस्ट्री में पॉजिटिव बदलाव आ रहा है। दक्षिण भारतीय फिल्मों की छवि पूरी तरह बदल गई है।

आईएएनएस

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