बेशर्म रंग पर विवाद के बाद पठान पर सख्त हुआ सेंसर बोर्ड, इन दृश्यों पर चलेगी सेंसर बोर्ड की कैंची!
सेंसर में अटका पठान बेशर्म रंग पर विवाद के बाद पठान पर सख्त हुआ सेंसर बोर्ड, इन दृश्यों पर चलेगी सेंसर बोर्ड की कैंची!
डिजिटल डेस्क, मुंबई। साल 2023 में आने वाली शाहरूख खान और दीपिका पादुकोण की मचअवेटेड फिल्म पठान रिलीज होने से पहले ही विवादों में आ चुकी हैं। फिल्फ पठान के पहले गाने बेशर्म रंग पर सोशल मीडिया पर यूजर्स जमकर विरोध कर रहे हैं। दरअसल, दीपिका पादुकोण बेशर्म रंग गाने पर भगवा बिकिनी पहनकर डांस करती नजर हुई नजर आ रही हैं। इसी को लकर अब जमकर राजनीति होने लगी है। इसी बीच विवादित फिल्म पठान को लेकर नया मामला सामने आ गया है। सेंसर बोर्ड ने फिल्म मेकर्स को मूवी में कई बदलाव करने के सुझाव दिए थे।
सेंसर बोर्ड ने कसी कमर
सेंसर बोर्ड के सूत्रों के मुताबिक, फिल्म पठान हाल ही में सर्टिफिकेशन के लिए सीबीसीएफसी एग्जामिनेशन कमिटी गई थी। सीबीसीएफसी गाइडलाइंस के अनुसार फिल्म को काफी बारीकी से देखा गया। कमिटी ने मेकर्स को फिल्म में कुछ बदलाव करने की सलाह दी है। बताया जा रहा फिल्म के गानों में भी बदलाव के सुझाव दिए गए हैं। साथ ही कमिटी ने पठान के थिएटर में रिलीज से पहले संशोधित वर्जन को सब्मिट करने का आदेश दिया है। सीबीएफसी सूत्रों ने बताया कि सेंसर बोर्ड हमेशा ही क्रिएटिव अभिव्यक्ति और लोगों की सेंसिबिलिटी के बीच सही तालमेल बनाकर रखती है।
बेशर्म रंग ने बनाया रिकॉर्ड
फिल्म पठान के गाने बेशर्म रंग ने धमाल मचा रखा है। सेंसर बोर्ड इस फिल्म को लेकर क्या-क्या चेंजेस करने को कह रहा है, फिल्म रिलीज होने के बाद ही इसका खुलासा होगा। अब फैन्स के मन सवाल उठ रहे हैं कि क्या गाने से भगवा रंग कि बिकिनी का कलर हटाया जाएगा या फिर सीन्स एडिट होंगे? हालांकि, कपड़ों के पहनावे को लेकर इससे बड़ा विवाद मूवी में नहीं देखे गए हैं। दीपिका व शाहरूख खान का गाना बेशर्म रंग विवादों की वजह से या फिर वैसे ही चार्टबस्टर पर टॉप किया है। इसे 2 हफ्तों में ही 150 मिलियंस व्यूज मिल हैं। अभी बेशर्म रंग सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। गाने के विवादित होने की वजह से भरपूर फायदा मिला है। पठान फिल्म का दूसरा गाना झूमे जो पठान भी खूब हिट हुआ है।
अगर सेंसर बोर्ड हरी झंडी नहीं देता तो क्या होगा?
किसी भी फिल्म को रिलीज होने से पहले सेंसर बोर्ड की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। बोर्ड की जांच कमिटी फिल्म देखती है फिर तय करती है कि उसे U, U/A, और A में से किस केटेगरी में रखना है। अगर कमिटी की तय की गई कैटेगरी से फिल्म निर्माता खुश है तो कई बात नहीं, पर अगर वह संतुष्ट नहीं है तो वह फिल्म में दोबारा देखने की गुजारिश कर सकता है। जिसके बाद एक नई कमिटी फिल्म देखेगी, इस कमिटी में बोर्ड का एक सदस्य भी होगा। दूसरी बार फिल्म देखने के दौरान कट लगाए जाते हैं।
ऐसे में निर्माता के पास अच्छा मौका रहता है कि बताए गए कट लगवाकर फिल्म के लिए वह सर्टिफिकेट ले सकता है, जो वह चाहता हो। लेकिन फिल्म निर्माता को दूसरी बारकमिटी को फिल्म दिखाने के बाद भी मन मुताबिक केटेगरी नहीं मिलती है तो वह फिल्म सर्टिफिकेट अपीलीय न्यायाधिकरण (एफसीएटी) में जाकर अपील कर सकता है। दिल्ली में यह कमिटी रिटायर्ज जजों की होती है। यहां पर लोग फिल्म निर्माता की बात सुनते हैं। साथ ही ज्यादातर मामलों को एफसीएटी निपटा देता है फिर भी वहां से भी फिल्म निर्माता खुश नहीं है तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है।