Media Guru Samman: राजस्थान के पाली में 'मीडिया गुरु सम्मान' से अलंकृत हुए पत्रकारिता के 'संजय'

  • उपलब्धियों और पत्रकारिता के प्रति सच्ची निष्ठा का एक स्तंभ
  • समाज और शिक्षा के उत्थान के प्रति योगदान
  • पत्रकारिता, शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में छाप

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-29 12:46 GMT

डिजिटल डेस्क, पाली।  29 सितंबर 2024 का दिन पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र में एक नई इबारत लिखने जा रहा है। राजस्थान के पाली मारवाड़ में आयोजित एक भव्य समारोह में, प्रो.(डॉ.) संजय द्विवेदी को "मीडिया गुरु सम्मान" से अलंकृत किया जा रहा है। यह सम्मान उनकी अब तक की उपलब्धियों और पत्रकारिता के प्रति उनकी सच्ची निष्ठा का एक और स्तंभ है। संजय द्विवेदी का यह सफर न केवल व्यक्तिगत मेहनत और समर्पण की कहानी है, बल्कि समाज और शिक्षा के उत्थान के प्रति उनके योगदान का भी एक प्रमाण है।

अयोध्या जैसे पवित्र नगरी में जन्मे संजय द्विवेदी की जीवन यात्रा कई मोड़ों से गुजरी। शुरुआती शिक्षा के बाद, उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। पत्रकारिता में उनके गहरे रुझान ने उन्हें इस क्षेत्र में अपने लिए एक सशक्त पहचान बनाने के लिए प्रेरित किया।

प्रारंभिक समय में, उन्होंने 'दैनिक भास्कर', 'नवभारत', और 'स्वदेश' जैसे प्रतिष्ठित अखबारों में काम करते हुए अपने करियर की नींव रखी। उनका संपादकीय दृष्टिकोण बेहद सटीक और तथ्यात्मक था, जो उन्हें समाज में एक भरोसेमंद पत्रकार के रूप में स्थापित करता था। रायपुर, भोपाल, और मुंबई जैसे प्रमुख स्थानों पर काम करते हुए उन्होंने समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया, जिससे उनके लेखों में एक अलग ही प्रभाव देखने को मिलता था।

संजय द्विवेदी ने न केवल पत्रकारिता के क्षेत्र में सफलता पाई, बल्कि शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भी अपनी छाप छोड़ी। वे माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग में प्रोफेसर हैं, जहाँ उन्होंने छात्रों और शिक्षकों के बीच अपनी प्रेरणादायक नेतृत्व से शिक्षा के नए मानक स्थापित किए। इसके अलावा, उन्होंने विभिन्न पत्रिकाओं का संपादन किया और मीडिया के विभिन्न पहलुओं पर लगभग 3000 लेख प्रकाशित किए, जिससे उनकी गहरी समझ और निष्पक्षता का परिचय मिलता है।

"मीडिया गुरु सम्मान" उनके जीवन के महत्वपूर्ण पड़ावों में से एक है। यह सम्मान न केवल उनके व्यक्तिगत प्रयासों का सम्मान है, बल्कि समाज और पत्रकारिता में उनके योगदान का भी प्रतीक है। यह दिन उनके जीवन की उपलब्धियों की एक कड़ी को जोड़ता है, जिसमें उनके द्वारा समाज में किए गए सकारात्मक बदलाव, उनकी लेखनी, और शिक्षा के प्रति उनकी अटूट निष्ठा झलकती है। यह सफलता की कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उन मूल्यों की है जो उन्होंने अपने जीवन में अपनाए और समाज को सौंपे।

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