नालंदा विश्वविद्यालय के पर्यावरण-संरक्षण विधियों से प्रभावित हुआ नार्वे दूतावास से आया हुआ प्रतिनिधिमंडल
बिहार सियासत नालंदा विश्वविद्यालय के पर्यावरण-संरक्षण विधियों से प्रभावित हुआ नार्वे दूतावास से आया हुआ प्रतिनिधिमंडल
डिजिटल डेस्क, पटना। नॉर्वेजियन दूतावास के काउंसलर और राजनीतिक अनुभाग की प्रमुख बीट गेब्रियल्सन के नेतृत्व में पांच सदस्यीय नॉर्वे के प्रतिनिधिमंडल ने बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय के परिसर का भ्रमण किया। इस परिसर भ्रमण के दौरान नार्वे के राजनयिक, भारत के प्राचीन अध्ययन केंद्र नालंदा के गौरवशाली अतीत रूप व वर्तमान में हो रहे पुनरुद्धार से रूबरू हुए।
प्रतिनिधिमंडल विश्वविद्यालय द्वारा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उठाए गए कदम में गहरी रुचि लेते हुए यहां के हरित परिसर को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए कुलपति सुनैना सिंह के प्रयासों की सराहना की। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो सुनैना सिंह ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय की पुनस्र्थापना का एक महžवपूर्ण उद्देश्य, ज्ञान-मार्ग के माध्यम से भारत को विश्व की विभिन्न सांसकृतिक परंपराओं को जोड़ने में एक सेतु की भूमिका निभाना है। कुलपति ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि वर्तमान में 455 एकड़ में फैले हुए नालंदा के जीवंत हरित-परिसर में लगभग 31 देशों के छात्र अध्ययनरत हैं।
कुलपति के अनुसार नॉर्वेजियन विश्वविद्यालयों और नालंदा के बीच अकादमिक व सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से हमारे द्विपक्षीय संबंध एवं समावेशी ज्ञानतंत्र सुदृढ़ हो सकते हैंह्व। नार्वे के राजनयिकों ने विगत वर्षों में हुए विश्वविद्यालय की प्रगति देखी और यहाँ परिसर में जल-संरक्षण एवं अपशिष्ट-प्रबंधन के लिए हो रहे प्रयासों की सराहना की।
सुव्यवस्थित शैक्षणिक ढांचे और परिसर की हरितिमा की प्रशंसा करते हुए काउंसलर गेब्रियलसन ने कहा कि हम यहाँ के हरित परिसर व पर्यावरण-संरक्षण विधियों से अत्यंत प्रभावित हैं। भविष्य में भी नॉर्वे व नालंदा के पारस्परिक संबंध कायम रहें, इसके लिए हम प्रयासरत रहेंगे। प्राचीन भारतीय ज्ञान-प्रणाली से अनुप्राणित नालंदा विश्वविद्यालय दूरदर्शी नेतृत्व में एक भविष्य के मॉडल विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हो रहा है। शताब्दियों तक नालंदा एशियाई ज्ञान का प्रतीक रहा है। विश्वविद्यालय अपने नए अवतार में एक बार पुन: अपनी यात्रा शुरू करने के लिए तैयार हो रहा है।
(आईएएनएस)
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