सरकार ने यूजी पाठ्यक्रमों के लिए कन्नड़ भाषा को अनिवार्य बनाने के नियम को रद्द किया

कर्नाटक सरकार ने यूजी पाठ्यक्रमों के लिए कन्नड़ भाषा को अनिवार्य बनाने के नियम को रद्द किया

Bhaskar Hindi
Update: 2022-01-24 09:00 GMT
सरकार ने यूजी पाठ्यक्रमों के लिए कन्नड़ भाषा को अनिवार्य बनाने के नियम को रद्द किया
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  • कर्नाटक सरकार ने यूजी पाठ्यक्रमों के लिए कन्नड़ भाषा को अनिवार्य बनाने के नियम को रद्द किया

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। कर्नाटक सरकार ने स्नातक छात्रों के लिए कन्नड़ भाषा अनिवार्य करने के निर्णय को वापस ले लिया है।

नए आदेश के अनुसार, जो छात्र स्थानीय भाषा नहीं लेना चाहते हैं, उन्हें उच्च न्यायालय के अगले आदेश तक मजबूर नहीं किया जाएगा। इस संबंध में हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश की पृष्ठभूमि में यह फैसला लिया गया है।

आदेश का पालन करते हुए, जो छात्र पहले ही पाठ्यक्रम में शामिल हो चुके हैं, उन्हें भी कन्नड़ के बजाय अपनी पसंद की भाषा चुनने का अवसर मिलेगा। उपस्थिति को नई भाषा में समायोजित किया जाएगा।

21 जनवरी का सकरुलर सार्वजनिक और निजी विश्वविद्यालयों के सभी कुलपतियों और रजिस्ट्रारों को भेज दिया गया है। इस संबंध में सहायता प्राप्त व गैर सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के प्राचार्यों को भी निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

राज्य सरकार ने 7 अगस्त, 2021 को राज्य में स्नातक पाठ्यक्रम लेने वाले छात्रों के लिए कन्नड़ सीखना अनिवार्य कर दिया था। सरकार ने कहा कि यह आदेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन के अनुरूप है। सरकार ने स्कूल में कन्नड़ नहीं सीखने वाले छात्रों को एक सेमेस्टर के लिए कार्यात्मक कन्नड़ का अध्ययन करने के लिए कहा था।

संस्कृत भारती (कर्नाटक) टस्र्ट, अन्य तीन संगठनों और पांच छात्रों ने सरकारी आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाएं दायर की हैं। उच्च न्यायालय ने पहले कहा था कि राज्य सरकार इस स्तर पर भाषा को अनिवार्य बनाने पर जोर नहीं देगी। अदालत ने आगे कहा कि जो छात्र कन्नड़ भाषा नहीं लेना चाहते हैं, उन्हें अगले आदेश तक कन्नड़ भाषा का अध्ययन करने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।

 

आईएएनएस

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