DU: दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर सस्पेंड, राष्ट्रपति ने जांच के आदेश दिए
DU: दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर सस्पेंड, राष्ट्रपति ने जांच के आदेश दिए
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर योगेश त्यागी को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के आदेश पर बुधवार को निलंबित कर दिया गया। त्यागी पर पद के दुरुपयोग के आरोप लगे हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार को चिट्ठी लिखकर बताया कि वाइस चांसलर के खिलाफ अब जांच होगी और वो पद पर रहते हुए जांच को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए वह अब अगले आदेश तक अंडर सस्पेंशन यानी निलंबित रहेंगे। प्रोफेसर पीसी जोशी वाइस चांसलर का काम संभालेंगे।
क्या है मामला?
प्रोफेसर योगेश त्यागी पर गलत तरीके से डीयू में दो नियुक्तियां करने का आरोप लगा है। दरअसल, योगेश त्यागी 2 जुलाई को एम्स में भर्ती हुए थे, तब से ही वे मेडिकल लीव पर हैं। एम्स में भर्ती होने के चलते सरकार ने 17 जुलाई को, त्यागी के वापस लौटने तक प्रो वीसी पी सी जोशी को वाइस चांसलर का प्रभार सौंपा था। लेकिन, पिछले हफ्ते प्रोफेसर त्यागी ने छुट्टी पर होते हुए बिना ऑफिस जॉइन किए और मेडिकल सर्टिफिकेट सबमिट किए ही Pro-VC जोशी को हटा दिया और उनकी जगह यूनिवर्सिटी के गैर-कॉलेजिएट महिला शिक्षा बोर्ड की डायरेक्टर गीता भट्ट को नियुक्त कर दिया।
इस बीच, पीसी जोशी ने नए रजिस्ट्रार विकास गुप्ता की नियुक्ति का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। कार्यकारी परिषद ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी भी दे दी। उसी दिन प्रोफेसर त्यागी ने पीसी झा को कार्यवाहक रजिस्ट्रार और साउथ कैंपस का निदेशक नियुक्त करने को मंजूरी देते हुए अधिसूचना जारी कर दी। प्रशासनिक चूक और पावर की लड़ाई के चलते शिक्षा मंत्रालय ने इसमें दखल दिया और त्यागी की ओर से की गईं नियुक्तियों को अवैध बताया क्योंकि वे छुट्टी पर थे। अधिकारों का टकराव तब और बढ़ गया जब झा ने खुद को "कार्यवाहक रजिस्ट्रार" बताते हुए मंत्रालय को पत्र लिखा कि त्यागी के लिये गए सभी निर्णय विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार हैं।
मंत्रालय ने पत्र पर आपत्ति जताई और विश्वविद्यालय को उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए। मंत्रालय के अधिकारी ने बताया, "मेडिकल ग्राउंड पर छुट्टी पर गए योगेश त्यागी की तरफ से इस अवधि के दौरान दिए गए सभी आदेश या उनकी मंजूरी से निकले आदेश रद्द कर दिए गए हैं। उन्हें शून्य माना जाएगा।" उन्होंने कहा, "वाइस चांसलर वैधानिक प्रावधानों के हिसाब से यूनिवर्सिटी का कामकाज नहीं चला रहे थे...इस वजह से मिस-गवर्नेंस और यूनिवर्सिटी के कामकाज में गड़बड़ी हुई। यह यूनिवर्सिटी के शैक्षिक वातावरण के साथ-साथ प्रशासनिक वातावरण के लिए भी ठीक नहीं है।"