कॉलेज ऑफ आर्ट्स को दिल्ली सरकार से वापस ले दिल्ली विश्वविद्यालय: डूटा
नई दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट्स को दिल्ली सरकार से वापस ले दिल्ली विश्वविद्यालय: डूटा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) की वार्षिक आमसभा में दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत चार हजार से अधिक तदर्थ एवं अस्थाई शिक्षकों के समायोजन की मांग दोहराई गई है। आमसभा में कॉलेज ऑफ आर्ट्स का मुद्ददा भी उठाया गया है। साथ ही दिल्ली सरकार के अधिग्रहण को अवैध मानते हुए शिक्षक संगठन ने दिल्ली विश्वविद्यालय से पुन इस कॉलेज ऑफ आर्ट्स को वापस लेने का अनुरोध किया है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में 5 दिसम्बर, 2019 के रिकॉर्ड ऑफ डिस्कशन को लागू करने की मांग की गई है। शिक्षा मंत्रालय एवं यूजीसी से ईडब्ल्यूएस आरक्षण के कारण 25 प्रतिशत सीटों की बढ़ोतरी के चलते इस अनुपात में शिक्षकों के पद जारी करने की मांग की गई है। दिल्ली विश्वविद्यालय एवं सम्बद्ध कॉलेजों को ईडब्ल्यूएस आरक्षण पूर्व तिथि से लागू न करने के निर्देश देने की मांग भी यूजीसी से की गई है। वार्षिक आमसभा बैठक में डूटा सचिव एवं कोषाध्यक्ष की रिपोर्ट को बैठक में उपस्थित हजारों शिक्षकों ने सर्वसम्मति से पारित किया। आमसभा में दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों एवं कॉलेजों के हजारों शिक्षकों ने भागीदारी की। आमसभा के बाद डूटा ने समायोजन की मांग को लेकर विश्वविद्यालय के गेट 1 तक मार्च किया गया।
डूटा प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार एवं साउथ कैम्पस निदेशक से मुलाकात कर दिल्ली विश्वविद्यालय के हजारों शिक्षकों के मुद्दे सामने रखें। विश्वविद्यालय प्रशासन ने शिक्षकों के सभी मुद्दों पर सकारात्मक सहयोग का आश्वासन दिया। प्रशासन ने डूटा अध्यक्ष प्रो अजय कुमार भागी के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल को बताया कि इडब्ल्यूएस सीटों के बारे में कॉलेजों के प्राचार्य से जानकारी ली जाएगी। लम्बित प्रमोशन के मामलों का भी समाधान किया जाएगा। दिल्ली सरकार के वित्तपोषित 12 कॉलेजों के वित्तीय संकट के समाधान का प्रयास भी किया जाएगा।
डूटा अध्यक्ष प्रो अजय कुमार भागी ने बताया कि डूटा ने यह रिपोर्ट 29 अगस्त को हुई कार्यसमिति की बैठक में भी प्रस्तुत की थी। प्रो भागी ने बताया कि डूटा प्रत्येक वर्ष होने वाली अपनी आमसभा बैठक में के माध्यम से वर्षभर में किए गए शिक्षक हितों के कार्यों एवं बजट का लेखा-जोखा सार्वजनिक रूप से शिक्षकों के समक्ष पेश करती है। प्रो अजय कुमार भागी ने आमसभा रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत चार हजार से अधिक तदर्थ एवं अस्थाई शिक्षकों के समायोजन की मांग के प्रति अपना संकल्प दोहराया।
डूटा सचिव डॉ सुरेंद्र सिंह ने रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के द्वारा वित्तपोषित 12 कॉलेजों के एवं 16 आंशिक वित्तपोषित कॉलेजों में वेतन की अनियमितता के संकट पर चिंता जाहिर की। इन कॉलेजों के शिक्षक एवं कर्मचारियों को अपने वेतन के लिए कई महीनों इंतजार करना पड़ता है। इन कॉलेजों में शिक्षक एवं कर्मचारियों के मेडिकल बिल, शिक्षा भत्ता, एरियर का पैसा दिल्ली सरकार द्वारा समय पर जारी नही किया जाता। दिल्ली सरकार से मांग की गयी कि शिक्षक एवं कर्मचारियों का वेतन नियमित रूप से जारी किया जाए एवं उसमें किसी भी तरह की कटौती न हो। दिल्ली सरकार से ईडब्ल्यूएस आरक्षण के कारण 25 प्रतिशत सीटों की बढ़ोतरी के चलते इस अनुपात में शिक्षकों के पद जारी करने की मांग भी की गई।
डूटा ने एनपीएस की जगह पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग भी की गयी। सह-प्राध्यापक प्रमोशन के लिए पीएचडी की अनिवार्यता की तिथि को 2023 तक बढ़ाने का अनुरोध किया गया है। लाइब्रेरियन को शिक्षक समक्ष माने जाने, दिव्यांग शिक्षकों के लिए एनेब्लिंग यूनिट स्थापना एवं शारीरिक शिक्षा के शिक्षकों की माँग को भी उठाया गया है।
(आईएएनएस)
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