भारत-ऑस्ट्रेलिया अनुसंधान सहयोग को मजबूत करने का आह्वान

नई दिल्ली भारत-ऑस्ट्रेलिया अनुसंधान सहयोग को मजबूत करने का आह्वान

Bhaskar Hindi
Update: 2022-08-24 18:00 GMT
भारत-ऑस्ट्रेलिया अनुसंधान सहयोग को मजबूत करने का आह्वान

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने ऑस्ट्रेलिया-भारत के बीच कामयाब अनुसंधान सहयोग निर्मित करने को लेकर ऑस्ट्रेलिया के शीर्ष ग्रुप ऑफ 8 विश्वविद्यालयों के अकादमिक नेतृत्व के साथ चर्चा की। बुधवार को ऑस्ट्रेलिया में इस अवसर पर बोलते हुए केंद्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जय अनुसंधान के मंत्र को दोहराया, जिसे उन्होंने अपने 76वें स्वतंत्रता दिवस भाषण में जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान के नारे में जोड़ा था। उन्होंने कहा कि ये बेहद महत्वपूर्ण होगा और आने वाले दशक में व उसके बाद भी भारत के आर्थिक विकास का आधार बनेगा। मंत्री ने इस दशक को भारत का टेकेड यानी टेक दशक बनाने के लिए और आत्मनिर्भर बनने के लिए अपने हर संसाधन को जुटाने के ²ढ़ निश्चय को साझा किया। उन्होंने कहा कि भारत के साथ अनुसंधान सहयोग को मजबूत करना दरअसल सभी के लिए फायदे का सौदा है।

प्रधान ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खासी संभावना भरी अनुसंधान साझेदारी है। उन्होंने हमारे अनुसंधान सहयोग को और मजबूत करने के लिए ग्रुप ऑफ 8 विश्वविद्यालयों का स्वागत किया, और साथ-साथ पारस्परिक व राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को पूरा करने और वैश्विक चुनौतियों को लेकर कारगर समाधान प्रदान करने हेतु नए अवसरों को अपनाने के लिए भी उनका स्वागत किया।

केंद्रीय मंत्री ने शिक्षा, अनुसंधान और कौशल क्षेत्रों में सहयोग के उभरते अवसर विषय पर बातचीत में मोनाश विश्वविद्यालय के ऑस्ट्रेलियाई सरकार के शिक्षाविदों और ऑस्ट्रेलिया इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्यों के साथ भी बातचीत की। मंत्री महोदय ने कहा कि प्रधानमंत्री ने साक्ष्य-आधारित शोध पर जोर दिया है और उन्होंने मानव जाति की प्रगति, कल्याण और भलाई सुनिश्चित करने के लिए लैब-टू-लैंड और लैंड-टू-लैब का मंत्र दिया है। उन्होंने आगे कहा कि भारत सभी स्तरों पर जिज्ञासा से प्रेरित अनुसंधान और नवाचार को विकसित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। प्रधान ने ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में पढ़ रहे भारतीय छात्रों के साथ भी बातचीत की। उन्हें उनके अकादमिक अनुभवों के बारे में जानकर खुशी हुई और उन्होंने कहा कि वे भारत को एक ज्ञान महाशक्ति के रूप में स्थापित करने को लेकर उन छात्रों के विचारों से समृद्ध हुए हैं।

 

(आईएएनएस)

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