BHU ने लिया ऐतिहासिक फैसला, हिंदी में इंजीनियरिंग कोर्स शुरू करने वाला पहला संस्थान बना

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय BHU ने लिया ऐतिहासिक फैसला, हिंदी में इंजीनियरिंग कोर्स शुरू करने वाला पहला संस्थान बना

Bhaskar Hindi
Update: 2021-09-10 10:00 GMT
BHU ने लिया ऐतिहासिक फैसला, हिंदी में इंजीनियरिंग कोर्स शुरू करने वाला पहला संस्थान बना
हाईलाइट
  • हिन्दी में इंजीनियरिंग कोर्स शुरू करने वाला बीएचयू पहला संस्थान बना

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। योगी आदित्यनाथ सरकार ने अगले शैक्षणिक सत्र से बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में हिंदी में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम पढ़ाने का फैसला किया है। बीएचयू अब हिंदी में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम प्रदान करने वाला देश का पहला संस्थान होगा। यह ऐतिहासिक निर्णय तकनीकी अध्ययन को आगे बढ़ाने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के युवाओं के बीच राष्ट्रीय गौरव को बढ़ाने के लिए भाषा की बाधा को दूर करने के लिए बनाया गया है।

सरकार के प्रवक्ता के अनुसार, शुरूआत में हिंदी का विकल्प बी-टेक प्रथम वर्ष के छात्रों तक ही सीमित रहेगा, लेकिन आने वाले वर्षों में इसे उच्च स्तर पर भी पेश किया जाएगा। इसको लेकर सभी जरूरी तैयारियां कर ली गई हैं। हिंदी में इंजीनियरिंग पढ़ाने वाले विशेषज्ञों की सूची तैयार की गई है। इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम को हिंदी में आवश्यकतानुसार पढ़ाने के लिए बाहर से भी विशेषज्ञों को बुलाने का प्रावधान है।

इस बीच, बीएचयू प्रथम वर्ष के बी-टेक पाठ्यक्रमों के लिए हिंदी पुस्तकों की व्यवस्था करने में लगा हुआ है। आईआईटी बीएचयू के निदेशक और राजभाषा समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए हिंदी में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम शुरू करने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत अंग्रेजी के साथ हिंदी में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया गया है, जिसमें मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने का प्रावधान है।

प्रो जैन ने कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं के प्रयोग से इंजीनियरिंग का दायरा बढ़ेगा ही क्योंकि समाज के हर वर्ग के प्रतिभाशाली युवा तकनीकी अध्ययन के लिए आगे आएंगे। गौरतलब है कि नई शिक्षा नीति के तहत केंद्र सरकार ने पिछले साल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में हिंदी में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम शुरू करने की अपनी योजना की घोषणा की थी। इसके बाद, बीएचयू ने इस पर काम करना शुरू कर दिया, लेकिन महामारी के कारण योजना को ठंडे बस्ते में डालना पड़ा। हालांकि, कोविड केसों में गिरावट के साथ, राज्य सरकार अगले शैक्षणिक सत्र से इसे लागू करने के लिए कमर कस रही है।

(आईएएनएस)

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