विजया एकादशी 2024: इस व्रत को करने से भगवान राम को मिला था समुद्र में रास्ता, जानें इसका महत्व और पूजा विधि
- बुधवार सुबह 06: 30 मिनट से तिथि आरंभ हुई
- इस एकादशी के दिन व्रत करने से पुण्य मिलता है
- दिनभर फलाहार करते हुए रात्रि में जागरण होता है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को व्रत किया जाता है। यह दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का सबसे श्रेष्ठ एवं उत्तम दिन माना गया है। वहीं फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार एकादशी व्रत 06 मार्च, बुधवार को है। पुराणों के अनुसार, इसी व्रत को रखने के बाद स्वयं श्रीराम को समुद्र मार्ग पार करने का रास्ता मिला था। इसलिए ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से साधक को जीवन में विजय प्राप्त होती है।
ऐसा कहा जाता है कि, एकादशी व्रत का फल मनुष्य को उस व्यक्ति को भी मिलता है जिसकी मृत्यु हो चुकी है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, आप किसी ऐसे व्यक्ति की आत्मा की शांति या मोक्ष की कामना से व्रत धारण कर सकते हैं। क्या है इस व्रत की विधि और मुहूर्त, और पूजा विधि, आइए जानते हैं...
तिथि कब से कब तक
एकादशी तिथि आरंभ: 06 मार्च 2024, बुधवार सुबह 06 बजकर 30 मिनट से
एकादशी तिथि समापन: 07 मार्च 2024, गुरुवार सुबह 04 बजकर 13 मिनट तक
विजया एकादशी की पूजा विधि
शास्त्रों के अनुसार इस एकादशी के दिन व्रत करने से स्वर्ण दान, भूमि दान, अन्न दान और गौ दान से अधिक पुण्य मिलता है।
एकादशी के दिन स्नान के बाद भगवान विष्णु की आराधना विधिपूर्वक करें।
पूजा में सप्त धान्य घट स्थापना करें।
सात धान्यों में गेंहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर शामिल करें।
सप्त धान्य घट पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
इसके बाद पूजा में धूप, दीप, नैवेद्य, फूल, फल, तुलसी और नारियल भगवान को अर्पित करें।
पीले पुष्प, ऋतुफल, तुलसी आदि अर्पित कर धूप-दीप से आरती उतारें।
ध्यान रहे दिनभर फलाहार करते हुए रात्रि में विष्णु पाठ करें और रात्रि जागरण करें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।