गुरुवार व्रत: इस दिन भूलकर कर भी ना करें ये काम, जानें गुरुवार व्रत पूजा विधि
- गुरुवार की पूजा में चावल का प्रयोग नहीं करना चाहिए
- भगवान विष्णु को अगस्त्य का फूल अर्पित नहीं करना चाहिए
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू धर्म के अनुसार गुरुवार का दिन श्रीहरि यानि कि भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन को देवताओं के गुरू माने जाने वाले बृहस्पति की पूजा के लिए भी शुभ माना गया है, इसलिए इस दिन को बृहस्पतिवार भी कहा जाता है। ज्योतिषार्य के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु और केले के वृक्ष की पूजा की जाती है।
कहा जाता है कि गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से घर में सुख- समृद्धि बनी रहती है और साथ ही गुरुवार का व्रत करने से कुंडली में गुरू ग्रह मजबूत होता है, जिससे विवाह आसानी से हो जाता है और वैवाहिक जीवन में सुख मिलता है।
ध्यान रखें ये बात
इस व्रत को करने वाले व्रती इस दिन एक बार भोजन कर सकते हैं, लेकिन इस बात का ध्यान रखें की व्रत में केले का सेवन नहीं करें।
पूजा में चावल का प्रयोग भूल कर न करें, लेकिन भगवान विष्णु को तिल अर्पित कर सकते हैं।
भगवान विष्णु को अगस्त्य का फूल, माधवी और लोध के फूल अर्पित नहीं करें। कहा जाता है कि भगवान को ये फूल पसंद नहीं है।
ध्यान रखें कि इस दिन बाल और नाखून नहीं काटना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से धन की हानि होती है।
व्रत की विधि
- इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और नित्यक्रमादि से निवृत्त होकर स्नान करें।
- घर में पूजा के स्थान को साफ करें और मंदिर में दीपक जलाएं।
- भगवान विष्णु का ध्यान करें और मंत्र पढ़ते हुए पूजा प्रारंभ करें और उन्हें जलाभिषेक कराएं।
- भगवान विष्णु का श्रृंगार करें और नए वस्त्र धारण कराएं।
- पूजा में पीले फुल, पंचामृत और तुलसी पत्र जरुर रखें ।
- भगवान विष्णु को गुड़ और दाल का भोग लगाएं। अब भगवान की आरती करें।
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