विनायक चतुर्थी: इस विधि से करें विघ्नहर्ता की पूजा, जानें मुहूर्त
विनायक चतुर्थी: इस विधि से करें विघ्नहर्ता की पूजा, जानें मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। इस बार यह तिथि 17 मार्च, बुधवार को है। यहां बता दें कि श्री गणेश की पूजा के लिए बुधवार का दिन सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। ऐसे में इस दिन विनायक चतुर्थी आने से यह दिन और भी अधिक खास हो गया है।
विनायक चतुर्थी को भगवान गणेश को उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है। गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा गया है। ऐसे में भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और विघ्नहर्ता से प्रार्थना करते हैं। आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में...
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शुभ मुहूर्त
तिथि प्रारंभ: 16 मार्च मंगलवार, रात 8 बजकर 58 मिनट से
तिथि समाप्त: 17 मार्च बुधवार, रात 11 बजकर 28 मिनट तक
पूजा मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 17 मिनट से दोपहर 1 बजकर 42 मिनट तक
पूजन विधि
- विनायक चतुर्थी पर स्नान कर गणेश जी के सामने दोनों हाथ जोड़कर मन, वचन, कर्म से इस व्रत का संकल्प करना चाहिए।
- भगवान गणेश की पूजा करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर अपना मुख रखें। भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र सामने रखकर किसी स्वच्छ आसन पर बैठ जाएं।
- इसके बाद फल फूल, अक्षत, रोली और पंचामृत से भगवान गणेश को स्नान कराएं। इसके बाद पूजा करें और फिर धूप, दीप के साथ श्री गणेश मंत्र का जाप करें।
- इस दिन गणेश जी को तिल से बनी चीजों का भोग लगाएं। ऐसा माना जाता है कि तिल का लड्डू या मोदक का भोग लगाने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।
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- संध्या काल में स्नान कर, स्वच्छ वस्त्र धारण कर विधिपूर्वक धूप, दीप, अक्षत, चंदन, सिंदूर, नैवेद्य से गणेशजी का पूजन करें।
- इस दिन गणेश जी को लाल फूल समर्पित करने के साथ अबीर, कंकू, गुलाल, हल्दी, मेंहदी, मौली चढ़ाएं। मोदक, लड्डू, पंचामृत और ऋतुफल का भोग लगाएं।
- इसके बाद गणपति अथर्वशीर्ष, श्रीगणपतिस्त्रोत या गणेशजी के वेदोक्त मंत्रों का पाठ करें।
- फिर वैशाख चतुर्थी की कथा सुने अथवा सुनाएं।
- गणपति की आरती करने के बाद अपने मन में मनोकामना पूर्ति के लिए ईश्वर से विनती करें।