हर तरह के पापों से मुक्ति दिलाता है ये व्रत, जानें पूजा की विधि
विजया एकादशी 2023 हर तरह के पापों से मुक्ति दिलाता है ये व्रत, जानें पूजा की विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फालगुन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे समस्त पापों का हरण करने वाली तिथि भी कहा जाता है। यह अपने नाम के अनुरूप फल भी देती है। इस बार विजया एकादशी व्रत 16 फरवरी, गुरुवार को है। यह अपने नाम के अनुरूप फल भी देती है। इस दिन व्रत धारण करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है व जीवन के हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है।
शास्त्रों के मुताबिक, इस दिन व्रत करने से स्वर्ण दान, भूमि दान, अन्न दान और गौ दान से अधिक पुण्य मिलता है। इस दिन भगवान श्री नारायण की उपासना करनी चाहिए। विजया एकादशी व्रत की पूजा में सप्त धान रखने का विधान है।
व्रत मुहूर्त
तिथि आरंभ: 16 फरवरी, गुरुवार सुबह 08:00 बजे से
तिथि समाप्त: 17 फरवरी, शुक्रवार सुबह 09:13 बजे तक
व्रत व पूजा विधि
विजया एकादशी व्रत व पूजा विधि मुनि वकदालभ्य ने जो विधि भगवान श्रीराम को बताई वह इस प्रकार है। एकादशी से पहले दिन यानि दशमी को एक वेदी बनाकर उस पर सप्तधान रखें फिर अपनी क्षमतानुसार सोने, चांदी, तांबे या फिर मिट्टी का कलश बनाकर उस पर स्थापित करें।
एकादशी के दिन पंचपल्लव कलश में रखकर भगवान विष्णु का चित्र या की मूर्ति की स्थापना करें और धूप, दीप, चंदन, फल, फूल व तुलसी आदि से श्री हरि की पूजा करें। द्वादशी के दिन ब्राह्ण को भोजन आदि करवाएं व कलश को दान कर दें। इसके बाद व्रत का पारण करें। व्रत से पहली रात्रि में सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस प्रकार विधिपूर्वक उपवास रखने से उपासक को कठिन से कठिन परिस्थियों में भी विजय प्राप्त होती है।
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