शारदीय नवरात्र में इस तरह करें घट स्थापना, जानें शुभ मुहूर्त और विधि

कलश स्थापना शारदीय नवरात्र में इस तरह करें घट स्थापना, जानें शुभ मुहूर्त और विधि

Bhaskar Hindi
Update: 2021-10-05 11:34 GMT
शारदीय नवरात्र में इस तरह करें घट स्थापना, जानें शुभ मुहूर्त और विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र की शुरुआत इस वर्ष 07 अक्टूबर, गुरुवार से होने जा रही है। इस दौरान पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा और आराधना की जाती है। हालांकि, इस बार शारदीय नवरात्रि 9 की जगह 8 दिनों की होगी। ऐसा कई तिथियों के घटने और बढ़ने से हुआ। इस बार शारदीय नवरात्रि में चतुर्थी और पंचमी तिथि एक ही दिन होने के कारण इस बार नवरात्रि 8 दिनों की रहेगी।

नवरात्रि में कई लोग घरों में कलश स्थापना के साथ जौ बोते हैं। नवरात्रि की प्रतिपदा के दिन कलश या घट स्थापना सूर्योदय के बाद अभिजीत मुहुर्त में करना श्रेयष्कर माना जाता है। ये नवरात्रि का पहला दिन होता है। प्रतिपदा तिथि को शुभ मुहुर्त में पूरे विधि-विधान के साथ  घट स्थापना की जाती है तो आइए जानते हैं कलश स्थाना की शुभ मुहूर्त और विधि...

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अभिजीत मुहूर्त
बता दें कि, कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त सबसे उत्तम माना गया है। प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है। नवरात्रि के पहले कलश स्‍थापना कर देवी का आह्वन किया जाता है साथ ही इसी दिन अखंड ज्‍योति जलाई जाती है, जो नवरात्र के समापन तक जलता है। इस बार घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 17 मिनट से सुबह 7 बजकर 7 मिनट तक का है। 

ऐसे करें कलश स्थापना

  • इस दिन स्नान-ध्यान करके माता दुर्गा, भगवान गणेश, नवग्रह कुबेरादि की मूर्ति के साथ कलश स्थापना करें। 
  • कलश के ऊपर रोली से ॐ और स्वास्तिक लिखें। 
  • कलश स्थापना के समय अपने पूजा गृह में पूर्व के कोण की तरफ अथवा घर के आंगन से पूर्वोत्तर भाग में पृथ्वी पर सात प्रकार के अनाज रखें। 
  • फिर जौ भी डालें और इसके बाद कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, कलावा, चंदन, अक्षत, हल्दी, रुपया, पुष्पादि डालें। 
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  • फिर 'ॐ भूम्यै नमः' कहते हुए कलश को सात अनाजों सहित रेत के ऊपर स्थापित करें।
  • इसके बाद कलश में थोड़ा और जल या गंगाजल डालते हुए 'ॐ वरुणाय नमः' बोलें और जल से भर दें। 
  • इसके बाद आम का पल्लव कलश के ऊपर रखें। इसके बाद जौ अथवा कच्चा चावल कटोरे में भरकर कलश के ऊपर रखें। अब उसके ऊपर चुन्नी से लिपटा हुआ नारियल रखें।
  • इसके बाद हाथ में हल्दी, अक्षत पुष्प लेकर इच्छित संकल्प लें और 'ॐ दीपो ज्योतिः परब्रह्म दीपो ज्योतिर्र जनार्दनः! दीपो हरतु मे पापं पूजा दीप नमोस्तु ते मंत्र का जाप करते दीप पूजन करें। 
  • कलश पूजन के बाद नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे!' से सभी पूजन सामग्री अर्पण करते हुए मां शैलपुत्री की पूजा करें।
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