ये है दुनिया का सबसे शाही दशहरा, 750 किलो सोने से बना आसन, डेढ़ लाख बल्बों की रोशनी से जगमगाता महल, सजे धजे हाथियों पर निकलती है मां चामुंडेश्वी की सवारी
दशहरा 2022 ये है दुनिया का सबसे शाही दशहरा, 750 किलो सोने से बना आसन, डेढ़ लाख बल्बों की रोशनी से जगमगाता महल, सजे धजे हाथियों पर निकलती है मां चामुंडेश्वी की सवारी
डिजिटल डेस्क, मैसूर। आज पूरे देश में विजयादशमी का त्योहार बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। वैसे तो देश के हर कोने में दशहरा बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन देश के मैसूर जिले में मनाया जाने वाला दशहरा पूरी दुनिया में मशहूर है। करीब 10 दिन तक चलने वाला यह जश्म बड़े ही भव्य तरीके से मनाया जाता है। हमेशा की तरह इस बार भी मैसूर विजयादशमी के लिए बड़े ही भव्य रुप से सजाया गया है। देश-विदेश के हर कोने से भक्त इस अंतर्राष्ट्रीय विजयादशमी में शामिल होंगे।
दस दिनों तक मनाया जाने वाला यह भव्य दशहरा माता चामुंडेश्वरी का राक्षस महिसासुर पर विजय का प्रतीक है। यहां की मान्यता है कि माता दुर्गा की अवतार चामुंडेश्वरी देवी ने महिषासुर को से दस दिनों के युद्ध के बाद उसे पराजित कर उसका वध किया था। बुराई पर अच्छाई की इस जीत के जश्न के रुप में यह दस दिनों का उत्सव मनाया जाता है।
मैसूर में होने वाले इस भव्य दशहरे का इतिहास मैसूर नगर के इतिहास से जुड़ा है। इस भव्य दशहरे की शुरुआत चौदहवीं शताब्दी के मध्यकालीन दक्षिण भारत के अद्वितीय विजयनगर साम्राज्य के दो भाईयों बुक्का और हरिहर ने की थी।
हर साल इस भव्य दशहरे की शुरुआत मैसूर की चामुंडी पहाडियों पर विराजने वाली माता चामुंडेश्वरी की विशेष पूजा-अर्चना से होती हैं। कहा जाता है कि इस विशेष उत्सव के लिए मैसूर महल को 90 हजार और चामुंडी पहाड़ियों को 1.5 लाख ज्यादा बिजली के बल्बों से सजाया जाता है।
इस उत्सव में हाथियों का जुलूस भी निकलता है, जिसके लिए हाथियों को सजाया जाता है। इस जुलूस को देखने के लिए लोगों की भीड़ लगती हैं। जुलूस के हाथी इतने सुंदर दिखते हैं कि लोग इनके ऊपर फूलों की बारिश करते हैं।
इन सजे-धजे हाथियों के ऊपर माता चामुंडेश्वरी की प्रतिमा और 750 किलो सोने से बनी स्वर्ण हौदा रखी जाती है। इस हौदे से मैसूर के कारीगरों की कला प्रदर्शित होती है। इसे लकड़ी और धातु से बनाया गया था जिसका उपयोग मैसूर के राजा अपनी शाही गज सवारी के लिए करते थे। लेकिन अब इस हौदे को साल में सिर्फ एक बार जुलूस में माता के सवारी के लिए निकाला जाता है।
इस भव्य उत्सव में पूरा मैसूर शहर रोशनी ने जगमगा उठता है। साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम, शास्त्रीय और लोकप्रिय नृत्य, खेल-कूद, म्यूजिक बैंड, आर्मड फोर्सेज, हाथी. घोड़े आदि इस उत्सव को और अधिक आकर्षित बना देते हैं।