इस दिन ऐसे करें प्रथम पूज्य को प्रसन्न, जानें पूजा विधि

संकष्टी चतुर्थी इस दिन ऐसे करें प्रथम पूज्य को प्रसन्न, जानें पूजा विधि

Bhaskar Hindi
Update: 2021-11-20 11:43 GMT
इस दिन ऐसे करें प्रथम पूज्य को प्रसन्न, जानें पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अगहन मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। जो कि इस बार 23 नवंबर यानी कि मंगलवार को पड़ रही है। भगवान श्री गणेश को प्रथम पूज्य कहा गया है और इसलिए उनकी आराधना किसी भी शुभ कार्य या किसी भी पूजा के पहले की जाती है। इन्हें बुद्धि का देवता माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्त भगवान गणेश की विधि विधान पूजा करने के साथ ही व्रत भी रखते हैं।

जैसा कि नाम से भी स्पष्ट होता है, संकष्टी यानी कि यह व्रत कष्टों से मुक्ति के लिए है। माना जाता है कि जो भी इस दिन व्रत और भगवान गणेश की आराधना पूरे मन और भक्तिभाव से करता है। उसे सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी की पूजन विधि और मुहूर्त...

सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए रविवार को जरुर करें ये उपाय 

संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
संकष्टी के दिन चन्द्रोदय: रात 08:29 बजे
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: सोमवार, 22 नवंबर को रात 10:27 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त: मंगलवार, 23 नवंबर को मध्य रात्रि 12:55 बजे

पूजन विधि
- इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
- इसके बाद यदि आप व्रत करने वाले हैं तो संकल्प लें।
- पूजा के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें। 
- इसके बाद चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछाएं।
- भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद और फिर उन्हें जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें।

जीवन की सीख देते हैं देवी-देवताओं के वाहन

- इसके बाद ओम ‘गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलें और भगवान गणेश जी को प्रणाम करें
- इसके बाद एक थाली या केले का पत्ता लें, इस पर आपको एक रोली से त्रिकोण बनाएं।
- त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें।
- इसी के साथ बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च को रखें।
- पूजन के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें।
- पूजन के बाद लड्डू को प्रसाद के रूप में वितरित करें और ग्रहण करें।

Tags:    

Similar News