क्यों कहा जाता है इसे देवताओं का त्योहार? जानें क्या है मान्यता और पूजा की विधि
रंग पंचमी 2023 क्यों कहा जाता है इसे देवताओं का त्योहार? जानें क्या है मान्यता और पूजा की विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हर वर्ष चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रंग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। हालांकि, यह फाल्गुन माह के सबसे बड़े पर्व होली का ही हिस्सा है और पांचवा दिन होने के कारण इसे रंग पंचमी कहा गया है। इस बार ये त्यौहार 12 मार्च 2023, रविवार को है। इस दिन वातावरण में उड़ने वाले रंग को लेकर यह भी माना जाता है कि उड़ते हुए गुलाल से व्यक्ति में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक गुण प्रवेश करते हैं। चैत्रमास की कृष्णपक्ष की पंचमी देवी देवताओं को समर्पित मानी जाती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन स्वर्ग से देवता धरती पर आते हैं और वृंदावन में होली खेलते हैं। माना जाता है कि, ये पर्व राधा-कृष्ण के निश्छल प्रेम की याद के रूप में मनाया जाता है। इस दिन राधा कृष्ण जी को भी अबीर गुलाल लगाया जाता है। रंगपंचमी के दिन कई स्थानों पर एक-दूसरे के शरीर पर रंग व गुलाल डालकर यह पर्व मनाया जाता है।
पूजा मुहूर्त
रंग पंचमी तिथि प्रारंभ: 11 मार्च शनिवार, रात 10 बजकर 05 मिनट से
रंग पंचमी तिथि समापन: 12 मार्च रविवार, 10 बजकर 12 मिनट तक
इस विधि से करें पूजा
- रंग पंचमी के दिन राधा कृष्ण की पूजा की जाती है आप लक्ष्मी नारायण की पूजा भी कर सकते हैं।
- सबसे पहले भगवान की तस्वीर को उत्तर दिशा में एक चौकी पर रखें।
- चौकी पर तांबेका कलश पानी भरकर रखें और साथ में रोली, चंदन, अक्षत, और गुलाब के पुष्प चढ़ाने के साथ ही खीर, पंचामृत, गुड़ चना का भोग लगाएं।
- राधा कृष्ण को गुला गुलाल अर्पित करें ।
- अब आसन पर बैठकर ‘ॐ श्रीं श्रीयेनमः’ मंत्र का जाप करें।
- विधि विधान से पूजा करने के बाद आरती करें और ईश्वर से सुख शांति की प्रार्थना करें।
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