फुलैरा दूज: आज के दिन किसी भी कार्य के लिए नहीं देखा जाता शुभ मुहूर्त, जानें क्या है कारण

फुलैरा दूज: आज के दिन किसी भी कार्य के लिए नहीं देखा जाता शुभ मुहूर्त, जानें क्या है कारण

Bhaskar Hindi
Update: 2020-02-24 02:08 GMT
फुलैरा दूज: आज के दिन किसी भी कार्य के लिए नहीं देखा जाता शुभ मुहूर्त, जानें क्या है कारण

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फाल्गुन महीने में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलैरा दूज मनाई जाती है, जो कि इस वर्ष 25 फरवरी 2020 यानी कि आज है। फुलैरा दूज को फाल्गुन मास में सबसे शुभ और धार्मिक दिन माना जाता है। यह होली के त्यौहार से जुड़ा एक अनुष्ठान रुपी पर्व है। इस दिन से होली के पर्व का आरम्भ हो जाता है और यह पर्व मध्य, उत्तर और पश्चिम भारत में मुख्य रूप से मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण पवित्र होली के त्यौहार में भाग लेते हैं और रंगों की जगह रंगबिरंगे फूलों से होली खेलते हैं।  

इस दिन वृंदावन और मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों में विशेष अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है। उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में, ऐसा माना जाता है कि फुलैरा दूज का यह पूरा दिन ही शुभ है और इसलिए ज्योतिषी और पंडितों से पूजा के लिए शुभ समय पता करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसके इस विशेष गुण के कारण, कुछ समुदायों के द्वारा विवाह करने के लिए यह दिन चुना जाता है।

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महत्व
इस दिन ग्रामीण क्षेत्रों में संध्या के समय घरों में रंगोली सजाई जाती है। इसे घर में होली रखना कहा जाता है। होली आने वाली है इसलिए खुशियां मनाई जाती हैं। दूज के दिन किसान घरों के बच्चे अपने खेतों में उगी सरसों, मटर, चना और फुलवारियों के फूल तोड़कर लाते हैं। इन फूलों को भी घर में बनाई गई होली यानी रंगोली पर सजाया जाता है।

यह आयोजन उत्तर भारत के कई राज्यों के कई इलाकों में फुलैरा दूज से होली के ठीक एक दिन पहले तक लगातार होता रहता है। होली वाले दिन रंगोली बनाए जाने वाले स्थान पर ही गोबर से बनाई गई छोटी-छोटी सूखी गोबरीलों से होली तैयार की जाती है। होली के दिन हर घर में यह छोटी होली जलाई जाती है। इस होली को जलाने के लिए गांव की प्रमुख होली से आग लाई जाती है।

कृष्ण मंदिरों में फाल्गुन का रंग 
फुलैरा दूज के दिन आपसी प्रेम बढ़ाने के लिए राधा-कृष्ण जी का पूजन किया जाता है। इस दूज से कृष्ण मंदिरों में फाल्गुन का रंग चढ़ने लगता है। इस दिन जो भक्त कृष्ण भक्ति करते हैं उनके जीवन में प्रेम की वर्षा होती है। इस पर्व का दूसरा महत्व विवाह को लेकर है। होली से लगभग पंद्रह दिन पहले से शादियों का मुहूर्त समाप्त हो जाता है। ज्योतिष के अनुसार विवाह के लिए इस दिन शुभ मुहूर्त होता है इस दिन विवाह करना शुभ माना जाता है। फुलैरा दूज के बाद से होली तक कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। फुलैरा दूज दूज को अत्यंत शुभ मुहूर्त माना जाता है।

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करें ये काम
- फुलैरा दूज के इस दिन श्री राधा-कृष्ण को अबीर-गुलाल अर्पित करें। 
- दिनभर मन में "राधेकृष्ण" का जाप करें। 
- इस दिन अपने सोने वाले पलंग के पर गुलाबी धागा बांधें। 
- फुलैरा दूज पर गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करें। 
- इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें। 
- श्री राधा-कृष्ण को मिठाई का भोग लगाएं। 
- भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किए गुलाल से अपने माथे पर तिलक करें। 
- महिलाएं श्रीराधा जी को अर्पित की सुहाग के सामग्री में से कोई भी एक चीज अपने पास रख लें और बाकी किसी सुहागन स्त्री को दान में दें। - रंगबिरंगे फूलों से राधे-कृष्ण का शृंगार करें।

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