साल की आखिरी अमावस्या पर इस विधि से करें पूजा, जानें मुहूर्त
पौष अमावस्या साल की आखिरी अमावस्या पर इस विधि से करें पूजा, जानें मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में सभी अमावस्याओं का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने और पवित्र नदियों में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अमावस्या तिथि के स्वामी पितर देवता माने गए हैं। ऐसे में पौष माह की अमावस्या को लेकर कहा जाता है कि, इस दिन पितरों के श्राद्ध कर्म, तर्पण और दान आदि करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इस दिन गंगा यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान, दान और सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है।
इस वर्ष की आखिरी अमावस्या 23 दिसंबर, शुक्रवार के दिन पड़ रही है। इस दिन भगवान श्री हिर यानी कि विष्णु जी और मां लक्ष्मी की पूजा विधि विधान से की जाती है। वहीं महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखकर प्रार्थना करती हैं। आइए जानते हैं पूजा विधि और मुहूर्त के बारे में...
पूजा विधि
- इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठें और नित्यक्रम से निवृत्त होकर स्नान करें।
- संभव हो तो स्नान किसी नदी या सरोवर पर स्नान करें।
- इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करें।
- इसके बाद सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों का तर्पण करें।
- इसके बाद भगवान शंकर, पार्वती और तुलसी की ग्यारहा परिक्रमा करें।
- याद रखें प्रत्येक परिक्रमा में कोई वस्तु चढ़ायें।
- इसके पश्चात वे सभी वस्तुएं किसी योग्य पात्र को दान करें।
- दिनभर भगवान शंकर के मंत्रों का मानसिक जाप करें।
- शाम के समय सरसों के तेल का दीपक पीपल के वृक्ष पर जलाकर व्रत संपन्न करें।
- अमावस्या तिथि पर भगवान विष्णु की भी विधि-विधान से पूजा की जाती है।