जानिए इसका महत्व, पूजा विधि और पारण का समय
पापांकुशा एकादशी जानिए इसका महत्व, पूजा विधि और पारण का समय
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी 16 अक्टूबर शनिवार यानी कि आज है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन विधि पूर्वक पूजा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। जीवन में सुख, समृद्धि बनी रहती है। कुल मिलाकर भगवान श्री विष्णु जी की कृपा प्राप्त करने के लिए इस एकादशी का बहुत महत्व होता है।
मान्यता है कि महाभारत काल में स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को पापांकुशा एकादशी का महत्व बताते हुए कहा था कि यह एकादशी पाप का निरोध करती है। आइए जानते हैं इस एकादशी का महत्व और पूजा विधि...
पारण
पापाकुंशा एकादशी व्रत पारण का शुभ मुहूर्त 17 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 28 मिनट से सुबह 8 बजकर 45 मिनट तक है।
सौ सूर्ययज्ञ करने के समान फल
एकादशी की रात में जागरण करने और हरि चिंतन, भजन करने वाला जातक अपने सहित कई पीढ़ियों का उद्धार कर देता है। इस एकादशी व्रत में भगवान विष्णु की पूजा करते समय धूप, दीप,नारियल और पुष्प का उपयोग किया जाता है और भगवान विष्णु के सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। पाकुंशा एकादशी एक हजार अश्वमेघ और सौ सूर्ययज्ञ करने के समान फल देने वाली एकादशी होती है। जो भी जातक इस एकादशी की रात्रि में भगवान श्री विष्णु के मंत्रों का जाप करता है उसे स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि
पापाकुंशा एकादशी के दिन स्नान आदि से निवृत होकर भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें।
भगवान विष्णु को फूल और अक्षत चढ़ाएं।
धूप दीप अगरवत्ती जलाकर भगवान विष्णु की पूजा करें।
इसके बाद उनकी आरती करके हाथ जोड़कर प्रणाम करें।
अगले दिन पारण करें।