जानिए रूप चौदस का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

नरक चतुर्दशी 2021 जानिए रूप चौदस का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Bhaskar Hindi
Update: 2021-11-03 05:41 GMT
जानिए रूप चौदस का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू कैलेंडर के पांचवे माह यानी कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी कहा जाता है। हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार धनतेरस के बाद और दीपावली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी और छोटी दीपावली मनाई जाती है। इसे काली चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष यह पर्व 03 नवंबर, बुधवार को मनाया जा रहा है।

इस दिन सुबह अभ्‍यंग स्‍नान किया जाता है, मान्यता है कि इस पवित्र स्नान से मनुष्य की आत्मा की शुद्धि होती है। वहीं शाम को मृत्‍यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है और घर के बाहर दीपक जलाकर छोटी दीपावली  मनाई जाती है। क्या है इस पूजा का महत्वऔर कैसे करें पूजा आइए जानते हैं...

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इस मुहूर्त में करें पूजा
तिथि आरंभ: 03 नवंबर बुधवार सुबह 09:02 बजे से 
तिथि समापन: 04 नवंबर, गुरुवार सुबह 06:03 बजे तक 
अभयंगा स्नान का समय: सुबह 5 बजकर 40 मिनट से 
सुबह 6 बजकर तीन मिनट तक

मान्यता
माना जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति पूजा और दीपक जलाता है उस व्यक्ति को जीवन में आने वाली सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है। इस दिन यम की पूजा करने से अकाल मृत्‍यु का खतरा टल जाता है। कहा जाता है कि इस दिन सुबह-सवेरे स्‍नान करने के बाद भगवान कृष्‍ण की पूजा करने से रूप सौंदर्य की प्राप्‍ति होती है।

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महत्व
नरक चतुर्दशी या रूप चौदस के दिन सुबह स्नान करके यमराज की पूजा और संध्या के समय दीप दान करने से नर्क के यातनाओं और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। इस कारण भी नरक चतुर्दशी के दिन दीनदान और पूजा का विधान है।

ऐसे करें पूजा
इस दिन 16 क्रियाओं से पूजा करें पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार। इसके बाद  सिंदूर, अक्षत आदि लगाकर धूप दीप जलाएं। इसके बाद भगवान को भोग लगाएं। भगवान हनुमान को भोग वाली सामग्री में तुलसी का पत्ता जरूर रखें। इसके बाद आरती करें।

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