मौनी अमावस्या : गंगा स्नान के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी, दान का विशेष महत्व
मौनी अमावस्या : गंगा स्नान के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी, दान का विशेष महत्व
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है, जो कि 24 जनवरी शुक्रवार यानी कि आज है। हिंदू धर्म शास्त्रों में मौनी अमावस्या का बहुत महत्व माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदियों में स्नान से विशेष पुण्यलाभ प्राप्त होता है। ऐसे में आज बड़ी संख्या में गंगा नदी में स्नान करने पहुंचे हैं। वाराणसी स्थित गंगा घाट पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद पूजा-अर्चना की।
Varanasi: Devotees offer prayers take holy dip at Ganga Ghat on Mouni Amavasya. pic.twitter.com/H06JAFECY8
— ANI UP (@ANINewsUP) January 24, 2020
बता दें कि इस तिथि पर भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की पूजा का विधान है। इस दिन भगवान विष्णु के मंदिर में झंडा लगाएं। भगवान शनि पर तेल अर्पित करें। काला तिल, काली उड़द, काला कपड़ा दान करें। शिवलिंग पर काला तिल, दूध और जल अर्पित करें। हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
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शुभ मुहूर्त-
तिथि प्रारम्भ- 24 जनवरी, सुबह 2 बजकर 17 मिनट से
तिथि समाप्त- 25 जनवरी सुबह 3 बजकर 11 मिनट तक
महत्व
ज्योतिष शास्त्र व धार्मिक दृष्टि से मौनी अमावस्या की तिथि बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह तिथि चुपचाप मौन रहकर ऋषि मुनियों की तरह आचरण पूर्ण स्नान करने के विशेष महत्व के कारण ही मौनी अमावस्या कहलाती है।माना जाता है कि इस दिन गंगा का जल अमृत बन जाता है। इसलिए माघ स्नान के लिये माघी अमावस्या यानि मौनी अमावस्या को बहुत ही खास माना गया है।
पितृ दोष से मुक्ति
पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए इस तिथि का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इस तिथि को तर्पण, स्नान, दान आदि के लिए बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है। किसी व्यक्ति की कुंडली में यदि पितृ दोष है, तो उससे मुक्ति के उपाय के लिए भी अमावस्या तिथि काफी कारगर मानी जाती है। इसलिए इस मौनी अमावस्या का विशेष महत्व हमारे शास्त्रों में बताया गया है।
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मन की शुद्धि
पद्मपुराण में कहा गया है कि अन्य मास में जप, तप और दान से भगवान विष्णु उतने प्रसन्न नहीं होते, जितने वे माघ मास में स्नान करने से होते हैं। विशेषकर मौनी अमावस्या को किया गया गंगा स्नान का विशेष महत्व का माना गया है। मौनी अमावस्या का यह व्रत व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को वश में रखना सिखाता है। शास्त्रों में वाणी को नियंत्रित करने के लिए इस दिन को सबसे शुभ बताया गया है। मौनी अमावस्या को स्नान के बाद मौन व्रत रखकर जाप करने से मन की शुद्धि होती है।
भगवान मनु का जन्म
कहा जाता है कि इस दिन भगवान मनु का जन्म हुआ था। कार्तिक के महीने की तरह माघ मास को भी बहुत फलदायक माना गया है। माघ अमावस्या के दौरान पवित्र संगम में स्नान का विशेष फल मिलता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जब सागर मंथन से भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर निकले तो देवताओं और राक्षसों की लड़ाई में अमृत कलश से अमृत की बूंदे संगम में गिर गई।