करें भगवान विष्णु की पूजा, स्नान दान का है विशेष महत्व

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2021 करें भगवान विष्णु की पूजा, स्नान दान का है विशेष महत्व

Bhaskar Hindi
Update: 2021-12-18 06:14 GMT
करें भगवान विष्णु की पूजा, स्नान दान का है विशेष महत्व

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू कैलेंडर के मार्गशीर्ष माह को सबसे पवित्र माह माना जाता है। वहीं इस माह में आने वाली पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया है। इस पूर्णिमा को स्नान दान पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर व्रत करने से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है। ऐसे में इस पूर्णिमा को शास्त्रों में मोक्षदायिनी कहा गया है। पूर्णिमा के दिन व्रत रखा जाता है और इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी बहुत अधिक महत्व होता है। 

पूर्णिमा के दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना की जाती है और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के लिए चंद्रमा को अमृत से सींचा गया था। अतः मार्गशीर्ष की पूर्णिमा पर चंद्रमा की उपासना जरूर करनी चाहिए। आइए जानते हैं इस पूर्णिमा के महत्व और पूजा विधि के बारे में...

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स्नान का समयशुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 18 दिसंबर सुबह 7 बजकर 24 मिनट से 
तिथि समापन: 19 दिसंबर सुबह 10 बजकर 5 मिनट तक 

मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को लेकर असमंजस की स्थिति भी बनी हुई है। दरअसल, पूर्णिमा व्रत में रात्रि में चांद की पूजा का भी विशेष महत्व होता है, जिस वजह से पूर्णिमा व्रत 18 दिसंबर को रखा जाएगा। लेकिन पूर्णिमा का स्नान 19 दिसंबर, रविवार के दिन किया जाएगा।

मान्यता
भगवान विष्णु का प्रिय भोग चूरमा होता है, इस दिन विष्णु जी को भोग लगाया जाता है। इस दिन पूजा के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है। इस दिन लोग ब्रह्मणों को दान-दक्षिणा देते हैं। मान्यता है कि इस दिन जो व्रत करता है उसकी सभी मनोकामनाएं भगवान विष्णु पूरी करते हैं। वहीं चन्द्रमा इस तिथि के स्वामी होते हैं। अतः इस दिन हर तरह की मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। इस दिन चंद्र देव की पूजा करने से चंद्र ग्रह के दोषों से मुक्ति मिलती है। इस दिन चंद्र ग्रह के क्रूर प्रभाव से बचने के लिए कन्या और परिवार की सभी स्त्रियों को वस्त्र देने चाहिए। 

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भगवान सत्यनारायण की पूजा व कथा
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की पूजा व कथा की जाती है। यह परम फलदायी बतायी गई है। पूजन में भगवान को चूरमा का भोग लगाना चाहिए। सामर्थ्य के अनुसार गरीबों व ब्राम्हणों को दान कर भगवान विष्णु से मंगल कामना करना चाहिए। ऐसा करने से भक्तों के सारे संकट दूर हो जाते हैं और उन्हें मानसिक शांति भी प्राप्त हाेती है।

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