मकर संक्रांति 2021: विशेष योग में आज मनाया जा रहा है त्यौहार, जानें शुभ मुहूर्त
मकर संक्रांति 2021: विशेष योग में आज मनाया जा रहा है त्यौहार, जानें शुभ मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में सूर्य की उपासना का अलग ही महत्व है, जो कि मकर संक्रांति के त्यौहार पर और अधिक बढ़ जाता है। जब मकर राशि में आता है तब उत्तरायण कहलाता है। सूर्य के उत्तरायण होने अथवा मकर राशि में प्रवेश करने पर ही मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है, जो कि इस वर्ष 14 जनवरी यानी आज मनाया जा रहा है। यह त्यौहार इस वर्ष बेहद खास संयोग में आया है। अच्छी बात यह भी है कि इस साल मकर संक्रांति की तिथि को लेकर किसी तरह का असमंजस नहीं है।
धर्मग्रंथों के अनुसार, वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है। सूर्य सृष्टि को चलाने वाले एक प्रत्यक्ष देवता हैं। वैदिक ज्योतिष में सूर्य को नवग्रहों के राजा की उपाधि दी गई है। ये आत्मा, पिता और सरकारी सेवा का कारक माना जाता है। आइए जानते हैं संक्रांति का शुभ मुहूर्त और त्यौहार से जुड़ी खास बातें...
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शुभ मुहूर्त
इस साल सूर्य का मकर राशि में आगमन गुरुवार 14 जनवरी को सुबह 8 बजकर 14 मिनट पर है। शास्त्रों के अनुसार, संक्रांति के 6 घंटे 24 मिनट पहले से पुण्य काल का आरंभ हो जाता है। इसलिए इस वर्ष ब्रह्म मुहूर्त से संक्रांति का स्नान दान पुण्य किया जा सकेगा। इस दिन दोपहर 2 बजकर 38 मिनट तक का समय संक्रांति से संबंधित धार्मिक कार्यों के लिए उत्तम रहेगा। इसके अनावा पूरे दिन भी स्नान दान किया जा सकता है।
पूजा विधि
भविष्यपुराण के अनुसार सूर्य के उत्तरायण के दिन संक्रांति व्रत करना चाहिए। इस दिन
तिल को पानी में मिलाकार स्नान करना चाहिए। यदि संभव हो तो गंगा स्नान करना चाहिए। इस दिन तीर्थ स्थान या पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व अधिक है। स्नान के बाद
भगवान सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। मकर संक्रांति पर अपने पितरों का ध्यान और उन्हें तर्पण जरूर देना चाहिए।
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इन मंत्रों का करें उच्चारण
. ऊं सूर्याय नम: ऊं आदित्याय नम: ऊं सप्तार्चिषे नम:
. ऋड्मण्डलाय नम: , ऊं सवित्रे नम: , ऊं वरुणाय नम: , ऊं सप्तसप्त्ये नम: , ऊं मार्तण्डाय नम: , ऊं विष्णवे नम:
. इसके अलावा गायत्री मंत्र का उच्चारण भी किया जा सकता है।
दान-पुण्य का महत्व
मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्नान और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। यही नहीं कई जगहों पर तो मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए खिचड़ी दान करने का भी विधान है। मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का प्रसाद भी बांटा जाता है। कई जगहोंं पर पतंगें उड़ाने की भी परंपरा है।