तंत्र-मंत्र की देवी हैं मां बगलामुखी, इस चैत्र नवरात्रि में ऐसे मिलेगी कृपा
तंत्र-मंत्र की देवी हैं मां बगलामुखी, इस चैत्र नवरात्रि में ऐसे मिलेगी कृपा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र मास नवरात्रि इस बार 6 अप्रैल से आरम्भ हो कर 14 अप्रैल 2019 के दिन समाप्त होगी। इसमें देवी पीताम्बर की साधना पूजा विशेष फलदाई रहेगी। इनकी आराधना से शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद-विवाद में विजय, शत्रुओं और बुरी शक्तियों का नाश तथा जीवन में समस्त प्रकार की बाधा, रोग, कष्ट, कर्ज आदि पर विजय प्राप्त होती है। बता दें कि माता बगलामुखी पीली आभा से युक्त होती हैं जिस कारण इन्हें पीताम्बरा देवी कहा जाता है। मां बगलामुखी की पूजा में पीले रंग का विशेष महत्व होता है।
तंत्र-मंत्र की देवी
बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुलहन। मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम दिया गया है। देवी बगलामुखी तंत्र-मंत्र की देवी हैं। तंत्र-मंत्र साधना में सिद्धि प्राप्त करने के लिए प्रथम बगलामुखी देवी को प्रसन्न करना आवश्यक होता है। बगलामुखी देवी रत्नजड़ित सिंहासन पर विराजती हैं। रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो कर शत्रुओं का नाश करती हैं। तब देवी पीताम्बर के भक्त को तीनों लोकों में कोई नहीं हरा पाता है वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। मां बगलामुखी स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर कर शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं।
पूजा तंत्र विधि
मां बगलामुखी को पीला रंग अतिप्रिय है। इनकी पूजा में पीले रंग की सामग्री का उपयोग होता है। माता बगलामुखी की पूजा तंत्र विधि के अनुसार होती है। बगलामुखी की पूजा में पीले आसन, पीले वस्त्र, पीले फल और पीले भोग का प्रयोग करना चाहिए। मां बगलामुखी के मंत्र जाप के लिए हल्दी की माला का ही उपयोग करना चाहिए। पीताम्बरा देवी समस्त प्रकार से ऋद्धि और सिद्धि प्रदान करने वाली हैं। मान्यता है कि तीनों लोकों की महान शक्ति जैसे आकर्षण शक्ति वाक् शक्ति और स्तंभन शक्ति का आशीष देने का सामर्थ्य एक मात्र पीताम्बर देवी के पास ही है देवी के भक्त अपने शत्रुओं को ही नहीं बल्कि तीनों लोकों को वश में करने का समर्थ रखते हैं। विशेषकर झूठे प्रकरणों में अपने आप को निर्दोष सिद्ध करने के लिए देवी की आराधना उत्तम मानी जाती हैं।
माता बगुलामुखी की आराधना विधि
नवरात्रि के इन दिनों में प्रतिदिन प्रातः काल उठे नित्कर्मों से निवृत होकर पीले रंग का वस्त्र धारण करें। माता के मंदिर जाकर व्रत का संकल्प लें धार्मिक ग्रंथों के अनुसार व्रती को साधना एकांत में मंदिर जाकर या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर माता बंगलामुखी की पूजा-साधना करनी चाहिए। घर में माता की पूजा के लिए पूर्व दिशा रखना चाहिए।
पूर्व दिशा में उस स्थान को जहां पर पूजा करना है। उसे सर्वप्रथम गंगाजल से पवित्र कर लें। इसके बाद उस स्थान पर एक चौकी रख उस पर संभव हो तो माता बगलामुखी की सोने या पीतल की प्रतिमा को स्थापित करें और संभव नही हो तो उनका सुन्दर-सा चित्र भी स्थापित कर सकते हैं। इसके बादद आचमन कर हाथ धोएं, आसन को पवित्र करें। माता बगलामुखी व्रत का संकलप हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, एवम पीले फूल तथा दक्षिणा लेकर करें। माता की पूजा धुप, दीप, अगरबत्ती एवम विशेष में पीले फल, पीले फूल, पीले लड्डू का प्रसाद चढ़ा कर करें।
संकल्प के बाद व्रती को नवरात्रि में निराहार रहना चाहिए। रात्रि में फलाहार कर सकते हैं। मां पीताम्बर की साधना-पूजा करने से शत्रु बाधा, रोग, कष्ट, कर्ज आदि पर विजय प्राप्त होती है। जगत का कोई ऐसा दुःख नहीं है जिसका निवारण इनकी साधना से दूर न हो। जीवन में अगर कभी ऐसा समय आए जब शत्रुओं के भय से आप भयभीत हो, अपने भी शत्रु बन गए हों, सभी रास्ते बंद हो और कानूनी विवाद में आप फंसते जा रहे हों। तब इस बुरे समय में आदिशक्ति मां देवी बगलामुखी की पूजा से आप अपने जीवन को सफल बनाकर मनवांछित कार्य प्राप्त कर सकते हैं। माता पीताम्बर में ब्रह्माण्ड की सम्पूर्ण शक्ति इनमें समाई हुई है। इनकी आराधना करने से शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद-विवाद में विजय, शत्रुओं और बुरी शक्तियों का नाश तथा जीवन में समस्त प्रकार की बाधा का नाश होता है।
नवरात्रि में देवी बगुलामुखी का जप साधना मंत्र :-
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा।
नजर जादू टोना या तंत्र मंत्र आपके जीवन में जहर घोल रहा है, आप उन्नति ही नहीं कर पा रहे अथवा भूत प्रेत की बाधा सता रही हो तो देवी के तंत्र बाधा नाशक इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
तंत्र बाधा निवारण मंत्र :-
ॐ ह्लीं श्रीं ह्लीं पीताम्बरे तंत्र बाधाम नाशय नाशय
इन नवरात्रि में माता की पूजा विधि
आटे के तीन दिए बनाएं व देसी घी डाल कर जलाएं। कपूर से देवी की आरती करें। हल्दी की माला से 7 माला का मंत्र जप करें। मंत्र जाप के समय अपना मुख दक्षिण की ओ रखें साथ ही आपकी कुंडली में अकाल मृत्यु का योग है, या आप सदा बीमार बने रहते हों, अपनी आयु को ले कर परेशान हों तो इस नवरात्रि में देवी के ब्रह्म विद्या मंत्र का जाप करें।
ब्रह्म विद्या मंत्र :-
ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं ब्रह्मविद्या स्वरूपिणी स्वाहा:
पूरे 9 दिन इस मंत्र का जपसाधना कर अंतिम दिन पीले वस्त्र व भोजन सामग्री जैसे – आटा, दाल, चावल, नमक, मिर्च, तेल, घी, और सब्जी आदि का दान करें। और मजदूरों, साधुओं,ब्राह्मणों व गरीबों को भोजन खिलायें। उसके बाद प्रसाद पूरे परिवार में बाँटे।