भगवान शंकर को बहुत प्रिय हैं, ये 5 पौधे इन से धन का होगा आगमन
धर्म भगवान शंकर को बहुत प्रिय हैं, ये 5 पौधे इन से धन का होगा आगमन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। देवो के देव महादेव कहे जाने वाले भगवान शंकर का सबसे प्रिय महीना सावन शुरू होने वाला है। सावन माह की शुरू आता 14 जुलाई से होने जा रही हैं इसी के साथ सावन महीना 12 अगस्त तक रहेगा। सावन के महीने में पड़ने वाले सोमवार व्रतों का भी महत्व होता है। बताया जाता हैं, की सावन के महीने जोभी श्रद्धालु से भगवान शंकर की आराधना करता हैं, उन्हें महादेव मनचाहा वरदान देते हैं।
वहीं भारतीय धर्म के अनुसार सावन का पूरा महीना महादेव की आराधना वाला माना जाता है। वहीं शास्त्रों के मुताबिक,भगवान भोलेनाथ के प्रिय पौधे घर में सही दिशा में लगाने से शुभ फल मिल सकता है। तो चलीए आज हम आप को बताते हैं, की आप किन पौधो घर लगाएं।
सावन में घर में लगाएं ये पौधे
धतूरा
धतूरे के पेड़ में भगवान शंकर का वास होता है। इसके फूल भगवान को प्रिय होते हैं। घर में इस का पौधा लगाना शुभ माना गया है। धतूरे का पौधा लगाने से नकारात्मक शक्तियां घर में नहीं आती हैं। यह भी कहा जाता हैं, धतूरे की जड़ को घर में रखने से सांप घर के अंदर नहीं आते हैं। इसी के साथ धन में वृद्धि होती है।
शमी
शमी का पेड़ बहुत शुभ माना गया है। माना जाता है कि शमी के पत्र भगवान भोलेनाथ को चणाने से घर में सुख-सौभाग्य आती हैं। शमी के पेड़ को घर के मेनगेट पर बाएं तरफ लगाना बहुत ही लभकरी माना गया है। बताया जाता हैं,की शमी के पेड़ की रोज पूजा करने से शनि दोष भी दूर होता है।
चंपा
घर में चंपा का पौधा लगाने से भाग्योदय होता है। वास्तु के अनुसार चंपा के पौधा सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। इसे घर में उत्तर-पश्चिम दिशा में लगाना चाहिए। चंपा का पौधा लगाने से गृह कलेश के मुक्ति मिलती हैं।
बेल पत्र
अगर आप अपने घर में बेल का पौधा लगाते हैं, तो भगवान शिव के साथ मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। आप के घर में पैसों की कमी कभी नहीं होती। बेलपत्र का पौधा घर में होने से बुरे कर्मों का प्रभाव खत्म हो जाता है
केले
केले के पेड़ को घर के सामने न लगाकार पीछे की ओर लगाना चाहिए। जगह के अभाव में अगर इसे घर में न लगा सकें तो आसपास जरुर लगाएं। केले के पेड़ में रोजाना जल डालने से वैवाहिक जीवन में खुशियों भरा होता हैं।
डिसक्लेमरः ये जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर बताई गई है। भास्कर हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है।