जाने इस साल कब है विनायक चतुर्थी, शुभ मुहूर्त, पूजन के साथ जरूर करें इस कथा का पाठ, दूर होंगे सारे कष्ट
धर्म जाने इस साल कब है विनायक चतुर्थी, शुभ मुहूर्त, पूजन के साथ जरूर करें इस कथा का पाठ, दूर होंगे सारे कष्ट
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह साल का चौथा महिना होता है। इस माह कई व्रत-त्योहार पड़ने वाले हैं। इस माह में 2 जुलाई 2022 को विनायक चतुर्थी पड़ रही है। विनयाक चतुर्थी पर विग्घहर्ता गणेश जी की पूजा - अर्चना और व्रत किया जाता है।
हिंदू शास्त्रों में आषाढ़ माह की विनायक चतुर्थी को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश जी की पूजा करने और व्रत करके आप उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन इस पूजा को करते वक्त व्रत कथा जरूर पढ़ें तभी पूजा फल देने वाली मानी जाती है। विनायक चतुर्थी पर इसलिए पूजा के समय व्रत कथा सुननी चाहिए। जानिए क्या है विनायक चतुर्थी की व्रत कथा-
विनायक चतुर्थी तिथि व मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रांरभ- शनिवार 2 जुलाई 2022 दोपहर 03:16 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त- रविवार, 3 जुलाई शाम 05:06 तक
व्रत व पूजन का शुभ मुहूर्त- 3 जुलाई सुबह 11:02 से 01:49 तक
विनायक चतुर्थी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, नर्मदा नदी के तट पर भगवान शिव और माता पार्वती बैठे थे। तभी माता पार्वती ने भगवान शिव से चौपड़ खेलने के लिए कहा। पर समस्या यह आ गई कि खेल में हार-जीत का फैसला कौन करेगा। इसलिए भगवान शिव ने एक मिट्टी का पुतला बनाया और उसमें जान डाल दी। उस के बाद भगवान शिव ने उसे बताया कि हम चौपाल खेल रहे हैं तुम जीतने वाले का फैसला करना फिर भगवान शिव और माता पार्वती चौपड़ खेलने लगे। इस खेल में मां पार्वती की जीत हुई। फिर बालक को विजेता का नाम बोलने के लिए कहा गया तो उसने शिवजी को विजेता घोषित कर दिया। जिसके बाद माता पार्वती बालक के फैसले पर क्रोधित हो गईं और उन्होंने बालक को श्राप दे दिया। बालक को फिर अपनी गलती का आभास हुआ और उसने माता पार्वती से माफी मांगी। तब माता पार्वती ने बताया की श्राप वापस नहीं लिया जा सकता। जिसके बाद माता पार्वती ने बालक को श्राप मुक्ति के उपाय बताए। माता ने बालक को बताया कि श्रीगणेश की पूजा - अर्चना के लिए नागकन्याएं आएंगी। तुम उनके कहे अनुसार व्रत और पूजन करना, जिससे तुम इस श्राप से मुक्ति मिल जाएगी। पूरा एक साल बीतने के बाद वहां नागकन्याएं आईं। बालक ने नागकन्याओं के बताए अनुसार 21 दिनों तक भगवान गणेश का पूजन और व्रत किया। जिसके बाद भगवान गणेश उस बालक की निष्ठा और श्रद्धा से प्रसन्न हुए और वर मांगने को कहा। तब बालक ने कहा-‘हे प्रभु आप मुझे माता पार्वती के दिए श्राप से मुक्त कर दीजिए। जिसके बाद भगवान गणेश के आशीर्वाद से बालक श्राप मुक्त हो गया। तब ही विनायक चतुर्थी मनाई जाती है।
डिसक्लेमर- ये जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। भास्कर हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है।