भगवान काल भैरव की पूजा से मिलेगी नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति, जानें मुहूर्त
कालाष्टमी व्रत भगवान काल भैरव की पूजा से मिलेगी नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति, जानें मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हर माह में की कृष्ण अष्टमी तिथि को कालाष्टमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन कालाष्टमी व्रत रखा जाता है, जो कि भगवान भैरव के भक्तों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस बार यह व्रत 16 दिसंबर, 2022 शुक्रवार को पड़ रहा है। इस दिन काल भौरव के अलावा मां दुर्गा की भी पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा करने का विधान है।
इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप की पूजा की जाती है। शिव पुराण में बताया गया है कि शिवजी हर कण में विराजमान हैं, इस वजह से शिवजी ही इन तीन गुणों के नियंत्रक माने गए हैं। शिवजी को आनंद स्वरूप में शंभू, विकराल स्वरूप में उग्र और सत्व स्वरूप में सात्विक भी पुकारा जाता है। इनकी कृपा से शत्रु बाधा, दुर्भाग्य, राहु-केतु और यहां तक की नकारात्मक शक्तियों से भी मुक्ति प्राप्त होती है।
शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि शुरू: 16 दिसंबर 2022, रात करीब 1 बजकर 39 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त: 17 दिसंबर 2022, प्रात: 3 बजकर 2 मिनट तक
ऐसे करें पूजा
- कालाष्टमी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि कर साफ वस्त्र पहनें।
- पितरों का तर्पण और श्राद्ध करें।
- इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
- इस दिन काल भैरव की पूजा कर उन्हें जल अर्पित करना चाहिए।
- पूजा के दौरान भैरव कथा का पाठ करना चाहिए।
- भगवान शिव-पार्वती की पूजा का भी इस दिन विधान है।
- काल भैरव की पूजा में काले तिल, धूप, दीप, गंध, उड़द आदि का इस्तेमाल करें
- भैरव जी की पूजा के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करें।
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!