गंगा दशहरा 2021: इस विधि से करें पूजा, घर पर रहकर भी मिलेगा गंगा स्नान का फल

गंगा दशहरा 2021: इस विधि से करें पूजा, घर पर रहकर भी मिलेगा गंगा स्नान का फल

Bhaskar Hindi
Update: 2021-06-15 10:54 GMT
गंगा दशहरा 2021: इस विधि से करें पूजा, घर पर रहकर भी मिलेगा गंगा स्नान का फल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) का पर्व हर वर्ष ज्येष्ठ माह की शुक्ल दशमी तिथि को मनाया जाता है। अंग्रेजी माह के अनुसार, इस वर्ष यह पर्व 20 जून, रविवार को है। गंगा दशहरे पर गंगा स्नान, गंगा जल का प्रयोग, और दान करना विशेष लाभकारी होता है। इस दिन लोग गंगा नदी में जाकर स्नान करते हैं और विधि विधान से पूजा करते हैं। गंगा दशहरा को लेकर मत है कि, इसी दिन गंगा हस्त नक्षत्र में स्वर्ग से धरती पर आई थी। 

चूंकि कोरोना वायरस का खतरा अब भी बना हुआ है। ऐसे में यदि आप गंगा नदी या किसी पवित्र नदी में स्नान करने नहीं जा सकते हैं तो घर में ही शीतल जल से स्नान करें। इसके लिए स्नान के दौरान जल में थोड़ा सा गंगाजल मिलाएं या तुलसी के पत्ते डालें। इसके बाद मां गंगा का ध्यान करते हुये स्नान आरम्भ करें। स्नान करने के बाद सूर्य देवता को जल अर्पित करें और मां गंगा के मन्त्रों का जाप करें। इससे आपको गंगा स्नान के फल की प्राप्ति होगी।

जून 2021: इस माह में आएंगे ये महत्वपूर्ण व्रत और त्यौहार

शुभ मुहूर्त 
दशमी त‍िथ‍ि आरंभ: 19 जून शनिवार, शाम 06 बजकर 50 मिनट से
दशमी त‍िथ‍ि समापन: 20 जून रविवार, शाम 04 बजकर 25 म‍िनट पर 

पापों से मुक्ति
मान्यता है कि इस दिन गंगा की आराधना करने से पापों से मुक्ति मिलती है साथ ही व्यक्ति को मुक्ति मोक्ष का लाभ मिलता है। इस द‍िन गंगा स्‍नान करने से दस तरह के पाप नष्‍ट हो जाते हैं। इसमें असत्य वचन बोलना, हिंसा, असंबद्ध प्रलाप, पराई स्त्री के साथ समागम, किसी की शिकायत करना, दूसरे की संपत्ति हड़पना या हड़पने की इच्छा, बिना आज्ञा या जबरन किसी की वस्तु लेना, कटुवचन का प्रयोग, दूसरे को हानि पहुंचाना और बेवजह की बातों पर पर‍िचर्चा शामिल है। 

Jyeshtha Maas: जानें हिन्दू कैलेंडर के तीसरे माह का वैज्ञानिक महत्व

मान्यता
पुराणों के अनुसार भागीरथी ही गंगा हुई और हिन्दू धर्म में मोक्षदायिनी मानी गई हैं। माना जाता है कि गंगा श्री विष्णु के चरणों में रहती थीं, भागीरथ की तपस्या से, शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण किया। फिर शिव जी ने अपनी जटाओं को सात धाराओं में विभाजित कर दिया। इन्हें शिव की अर्धांगिनी भी माना जाता है और अभी भी शिव की जटाओं में इनका वास है। इसलिए इस दिन शिवालय में गंगाजल से शिवजी का अभिषेक करने पर भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन शिवालय में गंगा जलाभिषेक के बाद अमृत मृत्युंजय का जाप करने के साथ अच्छे स्वास्थ्य और लम्बी आयु की प्रार्थना करना चाहिए।

Tags:    

Similar News