चैत्र पूर्णिमा 2021ः जानें इस दिन का महत्व, व्रत विधि और पूजा का मुहूर्त
चैत्र पूर्णिमा 2021ः जानें इस दिन का महत्व, व्रत विधि और पूजा का मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का बड़ा महत्व है, जो कि हर माह में मनाई जाती है। लेकिन चैत्र माह में आने वाली पूर्णिमा विशेष मानी गई है। पुराणों में वर्णित है कि इस दिन की गई पूजा का विशेष फल मिलता है। इसके पीछे यह भी एक कारण है कि हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र वर्ष का पहला महीना होता है। इस दिन भगवान विष्णु के उपासक सत्यनारायण की पूजा कर उनकी कृपा पाने के लिए भी पूर्णिमा का उपवास रखते हैं। इस साल चैत्र पूर्णिमा मंगलवार, 27 अप्रैल को मनाई जा रही है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज नगरी में रास उत्सव रचाया था। मान्यता यह भी है कि इस प्रभु श्रीराम भक्त हनुमान का जन्म भी हुआ था। वहीं चैत्र पूर्णिमा के साथ ही वैशाख महीना का आगमन हो जाता है। आइए जानते हैं इस पूर्णिमा का महत्व और पूजा मुहूर्त के बारे में...
अप्रैल 2021: इस माह में आएंगे ये महत्वपूर्ण व्रत व त्यौहार
शुभ मुहूर्त
चंद्रोदय का समयः 27 अप्रैल मंगलवार शाम 07ः00 बजे
चन्द्रास्त का समयः 28 अप्रैल बुधवार सुबह 05ः42 बजे
विशेष योग
इस दिन सिद्धि योग रात 8 बजे तक रहेगा
स्वाती नक्षत्र पूर्णिमा पर दिनभर रहेगा।
व्रत की विधि
चैत्र पूर्णिमा पर स्नान, दान, हवन, व्रत और मंत्र जप किए जाते हैं। इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है। सत्यनारायण कथा की जाती है और जरूरतमंदों, गरीबों, निश्क्तों को भोजन, वस्त्र आदि दान किए जाते हैं। चैत्र पूर्णिमा के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, जलाशय, कुएं या बावड़ी में स्नान करें। इसके बाद सूर्य मंत्र ऊं घृणिः सूर्याय नमः का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसी समय व्रत का संकल्प लेकर भगवान सत्यनारायण की पूजा करें। रात्रि में चंद्रमा की पूजा करके जल का अर्घ्य दें। पूजा के किसी जरूरतमंद को कच्चे अनाज से भरा हुआ घड़ा दान किया जाता है।
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व्रत के लाभ
- चैत्र पूर्णिमा पर सूर्योदय से पूर्व पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है। सारे रोग दूर होते हैं। त्वचा और नेत्र संबंधी रोग ठीक होते हैं।
- इस दिन गायों को चारा खिलाने, बंदरों को चने खिलाने और मछलियों, चीटियों को आटा खिलाने से व्यक्ति को कभी रोग, दुर्घटना और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।
- चैत्र पूर्णिमा को भाग्योदयकारक माना गया है। इस दिन गरीबों को भोजन करवाने से जातक के भाग्य की रूकावटें दूर होती हैं।
- इस दिन सायंकाल के समय पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा करते हुए उसके तने में कच्चा सूत लपेटें। परिक्रमा करते समय ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का मानसिक जाप करते रहें।
- परिक्रमा के बाद पेड़ में एक लोटा जल अर्पित करें फिर एक लोटा कच्चा दूध चढ़ाएं। इससे घर.परिवार से संकटों का नाश होता है और आर्थिक स्थिति जबर्दस्त तरीके से मजबूत होती है।