इस विधि से करें पूजा, श्री गणेश दूर करेंगे परेशानियां
अंगारकी विनायक चतुर्थी इस विधि से करें पूजा, श्री गणेश दूर करेंगे परेशानियां
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा किसी भी शुभ कार्य से पहले की जाती है। उन्हें प्रथम पूज्य कहा जाता है और बुधवार के दिन उनकी पूजा करने से संकटों से मुक्ति मिलती है। लेकिन चतुर्थी तिथि उनकी पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। हिन्दी पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की विनायकी चतुर्थी मंगलवार यानि 5 अप्रैल को मनाई जा रही है। विनायकी चतुर्थी मंगलवार को होने के कारण इसे अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है।
अंगारकी चतुर्थी में गणेश भगवान की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो व्यक्ति इस चतुर्थी का व्रत करता है तो उसके समस्त प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त...
गणेश अंगारकी विनायकी चतुर्थी तिथि
गणेश चतुर्थी तिथि आरंभ: 4 अप्रैल, सोमवार, दोपहर 1:56 से
गणेश चतुर्थी तिथि समाप्त: 5 अप्रैल, मंगलवार, दोपहर 03:45 तक
पूजन विधि
- भगवान गणेश की पूजा करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर अपना मुख रखें।
- भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र सामने रखकर किसी स्वच्छ आसन पर बैठ जाएं।
- इसके बाद फल फूल, अक्षत, रोली और पंचामृत से भगवान गणेश को स्नान कराएं। इसके बाद पूजा करें और फिर धूप, दीप के साथ श्री गणेश मंत्र का जाप करें।
- इस दिन गणेश जी को तिल से बनी चीजों का भोग लगाएं।
- मोदक का भोग लगाने से भी भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।
- संध्या काल में स्नान कर, स्वच्छ वस्त्र धारण कर विधिपूर्वक धूप, दीप, अक्षत, चंदन, सिंदूर, नैवेद्य से गणेशजी का पूजन करें।
- इस दिन गणेश जी को लाल फूल समर्पित करने के साथ अबीर, कंकू, गुलाल, हल्दी, मेंहदी, मौली चढ़ाएं। मोदक, लड्डू, पंचामृत और ऋतुफल का भोग लगाएं।
- इसके बाद गणपति अथर्वशीर्ष, श्रीगणपतिस्त्रोत या गणेशजी के वेदोक्त मंत्रों का पाठ करें।
- विनायक चतुर्थी की कथा सुनें अथवा सुनाएं।
- गणपति की आरती करने के बाद प्रसाद का वितरण करें।