Guru Pradosh Vrat 2024: सावन का पहला प्रदोष व्रत आज, इस विधि से करें भोलेनाथ की पूजा
- सावन का पहला प्रदोष होने के कारण इसका महत्व बढ़ा है
- यह भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सबसे अच्छा समय है
- प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा होती है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हर माह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत मनाया जाता है। ये व्रत दिन के अनुरूप अलग अलग नामों से जाना जाता है। जैसे कि सोमवार को आने पर इसे सोम व्रत के नाम से जाना जाता है। फिलहाल, आज यानी कि गुरुवार 01 अगस्त को गुरूप्रदोष व्रत है। यह सावन का पहला प्रदोष भी है, जिसके कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया है। क्योंकि यह समय भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सबसे अच्छा अवसर माना गया है।
ऐसा माना जाता है कि, इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से जातक को हर कार्य में सफलता मिलती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इस दिन जातक व्रत रखने के साथ ही महादेव की पूरी विधि विधान से पूजा करते हैं। आइए जानते हैं गुरु प्रदोष का मुहूर्त और पूजा विधि...
तिथि और मुहूर्त
तिथि आरंभ: 1 अगस्त 2024, गुरुवार दोपहर 3 बजकर 28 मिनट से
तिथ समापन: 2 अगस्त 2024, शुक्रवार दोपहर 3 बजकर 26 मिनट पर
विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से लेकर 03 बजकर 38 मिनट तक
शिववास योग: दोपहर 03 बजकर 28 मिनट तक रहेगा
निशिता मुहूर्त: रात 12 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक
पूजा विधि
- भगवान शिव, पार्वती और नंदी को पंचामृत और जल से स्नान कराएं।
- फिर गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, भोग, फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं।
- फिर शाम के समय जब सूर्यास्त होने वाला होता है उस समय सफेद वस्त्र धारण करके भगवान शिव की पूजा करें।
- विभिन्न फूलों, बेलपत्रों से शिव को प्रसन्न करें।
- शिव जी की पूजा करते समय शिव पुराण और शिव स्तुति करें।
- शिवजी की पूजा के बाद आरती, भजन करें। इससे शिवजी भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं।
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