Beed News: भक्तों की मनोकामना पूरी करता है माजलगांव का खंडोबा भगवान
- घटस्थापना के साथ यात्रोत्सव आरंभ
- 7 नंवबर तक मंदिर में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम
- शिवजी का दूसरा अवतार माना गया
Beed News जिले के माजलगांव स्थित शहर का एकमेव पुरातन सभी भक्तों के आराध्य दैवत व कुल दैवत श्री खंडोबा भगवान मंदिर में 29 नवंबर को शुक्रवार के दिन श्रध्दालुओ की उपस्थिति में सुबह घटस्थापना कर यात्रोत्सव आरंभ हुआ। इस दौरान मंदिर में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। शुक्रवार को सुबह भक्तों की उपस्थिति में खंडोबा भगवान का महाअभिषेक कर घटस्थापना किया गया। पश्चात यात्रोत्सव आरंभ हुआ । 29 से 7 नंवबर तक मंदिर में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। 6 दिंसबर को रात के समय 2100 दीपोत्सव मनाया जाएगा । 7 दिंसबर को सुबह श्री खंडोबा भगवान, मलसामाता, बाणुमाता का विवाह का कार्यक्रम संपन्न होगा। कार्यक्रम में उपस्थित रहने का अवाहन आयोजक ने किया है।
श्री खंडोबा भगवान शिवजी का अवतार : कृतयुग में मणिचूल पर्वत पर धर्मपुत्र सप्तर्षि तप कर रहे थे । वहां मणि और मल्ल नामक दो दैत्यों ने आकर उपद्रव करना आरंभ किया और ऋषि के तपोवन को ध्वस्त कर दिया । तब शोकाकुल ऋषि इंद्र के पास गए । इंद्र ने कहा कि मणि -मल्ल दोनों दैत्यों को अमर रहने का वरदान ब्रम्ह्मा ने दे रखा है ।इस कारण उनका वध करने में असमर्थ हैं । उन्होंने ऋषि को विष्णु के पास जाने की सलाह दी । ऋषि विष्णु के पास गए जब विष्णु ने भी अपनी असमर्थता प्रकट की तब वे भोलेशंकर भगवान ( शिव )के पास आए । भोलेशंकर भगवान (शिव )जब ऋषि की दु:खगाथा सुनी तो वे दु:खी हुए और उन्होंने मणि और मल्ल के विनाश के लिए श्री खंडोबा भगवान का रूप धारण किया और कार्तिकेय के नेतृ्त्व में अपने सात कोटि गणो को लेकर मणिचूल पर्वत पहुंचे । वहां उनका मणि-मल्ल के साथ तुमुल युध्द हुआ । अंत में श्री खंडोबा भगवान ने मणि के वक्षस्थल को चीर दिया जिससे वह भूमि पर गिर पड़ा । गिरने पर भोलेशंकर भगवान (शिव )से प्रार्थना की कि वह उसे अश्व के रूप में अपने निकट रहने की अनुमति दी ।श्री खंडोबा भगवान ने उसका अनुरोध स्वीकार किया । तबसे श्री खंडोबा भगवान को शिवजी का दूसरा अवतार माना गया । तब से श्री खंडोबा भगवान की मंदिरों में आराधना की जाती है ।
मूर्ति घोड़े की सवारी करते एक योद्धा के रूप में स्थापित : खंडोबा मंदिर 73 साल पुराना है। खंडोबा मंदिर मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित है। पहला भाग मंडप कहलाता है जबकि दूसरे भाग में गर्भगृह है, जिसमें भगवान खंडोबा की मूर्ति स्थापित है। भगवान खंडोबा की मूर्ति घोड़े की सवारी करते एक योद्धा के रूप में है। उनके हाथ में राक्षसों को मारने के लिए कि एक बड़ी सी तलवार (खड्ग) है। वहां पर उनके पास उनकी पहली पत्नी मालसामाता दूसरी पत्नी बाणुमाता विराजमान हैं व एक शिवलिंग है । भगवान खंडोबा के सामने एक नंदी भगवान है ।
बकरी का मांस भी भगवान को चढाया जाता है : भगवान खंडोबा को एक उग्र देवता के रूप में माना जाता है, इसलिए इनकी पूजा के नियम बेहद ही कड़े हैं। किसी साधारण पूजा की तरह उन्हें हल्दी और फूल तो चढ़ाया ही जाता है, लेकिन कभी-कभी बकरी का मांस भी मंदिर के बाहर भगवान को चढ़ाया जाता है।
Created On :   29 Nov 2024 6:19 PM IST