साइबर क्रिमिनल्स ने झारखंड के सरकारी सिस्टम में सेंध लगाकर जारी किए हजारों फर्जी राशन कार्ड
झारखंड साइबर क्रिमिनल्स ने झारखंड के सरकारी सिस्टम में सेंध लगाकर जारी किए हजारों फर्जी राशन कार्ड
डिजिटल डेस्क, रांची। साइबर क्रिमिनल्स ने इस बार झारखंड में खाद्य आपूर्ति विभाग के सिस्टम में सेंध लगा दी है। राज्य के कम से कम छह जिलों के आपूर्ति पदाधिकारियों की ऑफिशियल आईडी हैक कर हजारों फर्जी राशन कार्ड बना दिए गए हैं। राशन कार्ड मैनेजमेंट सिस्टम के तहत सभी जिलों के आपूर्ति पदाधिकारियों के पास विभागीय पोर्टल की आईडी होती है। इसका इस्तेमाल कर वे नए राशन कार्ड जारी करने, कार्ड के नेचर में परिवर्तन, नाम में सुधार जैसे कार्य करते हैं।
आशंका जताई जा रही है कि साइबर क्रिमिनल्स ने बड़े पैमाने पर आईडी का दुरुपयोग किया है। इसकी जानकारी मिलते ही राज्य मुख्यालय ने राशन कार्ड मैनेजमेंट सिस्टम के लिए बनाई गई सभी आईडी को ब्लॉक कर दिया है। इन मामलों में एफआईआर दर्ज कराए जाने की तैयारी चल रही है।
आपूर्ति विभाग के सूत्रों के अनुसार देवघर, हजारीबाग, गिरिडीह, सरायकेला-खरसावां, पाकुड़ और गढ़वा में जिला आपूर्ति पदाधिकारियों (डीएसओ) की आईडी हैक की गई है। सूचना है कि देवघर में साइबर क्रिमिनल्स ने लगभग 2500 राशन कार्ड बना लिए। इसके पहले हजारीबाग के डीएसओ की आईडी हैक कर एक हजार से भी ज्यादा ग्रीन राशन कार्ड को प्राइमरी हाउस होल्ड (पीएचएच) कार्ड में बदला दिया गया था। इसी तरह गिरिडीह जिले में भी हैक की गई आईडी का दुरुपयोग कर 2500 से ज्यादा फर्जी राशन कार्ड जारी किए गए हैं।
राज्य मुख्यालय ने सभी जिलों के आपूर्ति पदाधिकारियों से राशन कार्ड जारी करने में ऑनलाइन सिस्टम के दुरुपयोग से जुड़े मामलों की जानकारी मांगी है। गड़बड़ियों की जानकारी मिलने के बाद फिलहाल राज्य में नए राशन कार्ड जारी करने पर रोक लगा दी गई है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि ज्यादातर कार्ड रात 8 बजे के बाद बनाये गये थे। विभाग ने साइबर और आईटी एक्सपर्ट से संपर्क किया है ताकि राशन कार्ड मैनेजमेंट सिस्टम में लगाई गई सेंध को दुरुस्त किया जा सके।
बता दें कि इसके पहले साइबर अपराधियों द्वारा झारखंड के कई जिलों में केंद्र सरकार द्वारा विकसित सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (सीआरएस) पोर्टल में सेंधमारी कर सैकड़ों फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाण बनाए जाने का मामला पकड़ में आया था। इन मामलों में अब तक न तो साइबर अपराधियों का पता लगाया जा सका और न ही किसी की गिरफ्तारी हो पाई।
सोर्सः आईएएनएस
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