बाबा सिद्दीकी मर्डर केस: मुख्य आरोपी शिवकुमार गिरफ्तार, यूपी STF और मुंबई क्राइम ब्रांच ने बहराइच में दबोचा, लॉरेंस के भाई ने दी थी सुपारी
- बाबा सिद्दीकी हत्याकांड का मुख्य आरोपी गिरफ्तार
- वारदात के बाद मुंबई से हो गया था फरार
- पूना से लखनऊ के रास्ते बहराइच पहुंचा था
डिजिटल डेस्क, बहराइच। एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी मर्डर केस में पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। केस का मुख्य आरोपी और लॉरेंस बिश्नोई गैंग का शूटर शिवकुमार उर्फ शिवा को गिरफ्तार हो गया है। यूपी एसटीएफ और मुंबई क्राइम ब्रांच ने उसे बहराइच जिले के नानपारा में पकड़ा। शिवा के साथ ही पुलिस ने उसके चार सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया है। कहा जा रहा है कि वह यहां से नेपाल भागने की फिराक में था।
शिवा के अलावा गिरफ्तार किए गए अन्य आरोपियों में अनुराग कश्यप, ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी, आकाश श्रीवास्तव, और अखिलेंद्र प्रताप सिंह शामिल हैं। ये सभी बहराइच के गंडारा गांव के रहने वाले हैं और शिवा को शरण देने व उसे नेपाल भगाने में सहायता प्रदान कर रहे थे।
'हत्या के बाद से था फरार'
पुलिस के मुताबिक बाबा सिद्दीकी की हत्या में शामिल शिवकुमार वारदात के समय से ही फरार चल रहा था। उसके दो साथी पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं। शिव कुमार ने पुलिस पूछताछ में बताया कि वह लॉरेंस गैंग के लिए स्क्रैप डीलर शुभम लोनकर के माध्यम से काम करता था। बाबा सिद्दीकी को मारने के लिए उसे 10 लाख रुपए देने का वादा किया गया था। हत्या के बाद वह मुंबई से बहराइच पहुंचा और यहां से नेपाल भागने की प्लानिंग कर रहा था।
'स्नैप चैट के जरिए लॉरेंस के भाई से हुई बात'
शिव कुमार ने पुलिस को पूछताछ में बताया, 'मैं और धर्मराज कश्यप एक ही गांव के रहने वाले हैं। पूना में स्क्रैप का काम करता था। मेरी और शुभम लोनकर की दुकान अगल-बगल थी। शुभम लोनकर लॉरेंस बिश्नोई के लिए काम करता है। उसने मेरी बात स्नैप चैट के जरिए लॉरेंस के भाई अनमोल बिश्नोई से कई बार कराई है। अनमोल ने मुझसे कहा था कि बाबा सिद्दीकी की हत्या के बदले 10 लाख रुपए मिलेंगे। हर महीने भी कुछ न कुछ मिलता ही रहेगा।'
उसने आगे बताया, 'हत्या के लिए असलहा, कारतूस, सिम व मोबाइल फोन शुभम लोनकर और मोहम्मद यासीन अख्तर ने दिया था। हत्या के बाद आपस में बात करने के लिए तीनों शूटरों को नए सिम व मोबाइल फोन दिए गए थे। पिछले कई दिनों से हम लोग मुंबई में बाबा सिद्दीकी की रेकी कर रहे थे। 12 अक्टूबर की रात सही मौका मिलने पर हम लोगों ने बाबा सिद्दीकी की हत्या कर दी। उस दिन त्योहार होने के कारण पुलिस और भीड़-भाड़ भी थी। जिसके कारण दो लोग मौके पर पकड़ लिए गए थे और मैं फरार हो गया।'
'पूना से लखनऊ के रास्ते बहराइच पहुंचा'
'मैंने फोन रास्ते में फेंक दिया था और मुंबई से पूना चला गया। पूना से झांसी और लखनऊ के रास्ते बहराइच पहुंचा। बीच-बीच में मैं अपने साथियों व हैंडलर्स से किसी का भी फोन मांग कर बात करता रहा। अनुराग कश्यप से मैंने ट्रेन से एक यात्री से फोन मांग कर बात किया था, तो उसने कहा था अखिलेंद्र, ज्ञान प्रकाश और आकाश ने मिलकर तुम्हें नेपाल में छिपाने की व्यवस्था कर ली है। इसीलिए मैं बहराइच आया और अपने साथियों के साथ मिलकर नेपाल भागने की फिराक में था।'