ठगी: सेकंड-हैंड एंबेसी कार खरीदने के बहाने सेना के कर्नल व भाई से ठगी
सेकेंड-हैंड कारें बेचने के बहाने 15.9 लाख रुपये से अधिक की ठगी की
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय सेना के एक कर्नल और उनके छोटे भाई से एक व्यक्ति ने सेकेंड-हैंड कारें बेचने के बहाने 15.9 लाख रुपये से अधिक की ठगी की, खासकर विदेशी दूतावासों के स्वामित्व वाली कारें। आईएएनएस के पास मौजूद एफआईआर के अनुसार, साउथ ब्लॉक में रक्षा मंत्रालय में तैनात रहे शिकायतकर्ता कर्नल राजबीर सिंह ने कहा," एक आपसी परिचित के माध्यम से, मोहम्मद यासर ने मुझसे मेरे आवास पर मुलाकात की। कुछ बातचीत के बाद, उसने पेशकश की किसी डीलर या दूतावास के माध्यम से उचित मूल्य पर सेकेंड-हैंड कार प्राप्त करने में मेरी सहायता करें। शुरू में, मैंने ध्यान नहीं दिया, लेकिन उसने मुझे विभिन्न कारों की तस्वीरें उनकी कीमतों के साथ भेजना शुरू कर दिया और अनजाने में, मैं उसकी बातों में आ गग।''
इसके बाद, सिंह को अगली पोस्टिंग के लिए कारगिल में नियुक्त किया गया, लेकिन यासर ने कॉल, व्हाट्सएप संदेशों और टेक्स्ट के माध्यम से कार लेनदेन का पीछा करना जारी रखा। शिकायत में कहा गया है कि,"उसने (यासर ने) मुझे फरवरी/मार्च 2022 के आसपास एक सप्ताह के भीतर एक अच्छी कार प्राप्त करने काआश्वासन दिया, और तदनुसार धन हस्तांतरित करने का अनुरोध किया। मैंने एनईएफटी/आरटीजीएस के माध्यम से 15 लाख,90 हजार रुपये की राशि यासर के बैंक खाते में स्थानांतरित कर दी।"
इसके बाद यासिर व्हाट्सएप, एसएमएस और फोन कॉल के माध्यम से झूठी कहानियां फैलाता रहा, और कहता रहा कि कर डिलीवरी के कगार पर है। सिंह ने शिकायत में कहा, "उन्होंने उचित कीमत पर टोयोटा कोरोला का भी सुझाव दिया। इसने मेरे छोटे भाई विजय बीर सिंह को अपनी कार अपग्रेड करने के लिए प्रेरित किया। यासर के आश्वासन पर भरोसा करते हुए, मेरे भाई ने उसी बैंक खाते में 10 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।"
"यासर की ओर से जल्द ही कार की डिलीवरी के बारे में आश्वासन दिए जाने के बावजूद, वाहन कभी नहीं मिले। जब मैंने उस पर धन की वापसी के लिए दबाव डाला, तो उसने पैसे का निवेश करने का दावा किया और अपनी कार बेचने पर पुनर्भुगतान करने का वादा किया। पिछले एक साल से, वह ऐसा कर रहा है। वह लगातार 'कल' पैसे लौटाने का वादा करता रहा।'
सिंह ने कहा, "मार्च 2023 से उसने कॉल का जवाब देना और संदेशों का जवाब देना बंद कर दिया है।" सिंह ने कहा, "मेरे भाई को यासर से दो पोस्ट-डेटेड चेक मिले, इनमें से प्रत्येक की राशि 5,00,000 रुपये थी। लेकिन यासर के खाते में अपर्याप्त धनराशि के कारण दोनों चेक बाउंस हो गए।" पैसे वापस करने के कई अनुरोधों के बावजूद, यासर ने पैसे वापस नहीं लौटाए, इससे मामला लंबा खिंच गया।
"जब मैंने उसे धोखाधड़ी और जालसाजी के कारण पुलिस को शामिल करने के अपने इरादे के बारे में बताया, तो उसने धमकी भरी भाषा में जवाब दिया, 'मैंने तुम्हारे जैसे बहुत फौजी देखे हैं, तुम जो बिगाड़ना चाहो बिगाड़ लो।' सिंह ने कहा, ''मैंने पैसे लौटाने के संबंध में उसके झूठे वादों के बारे में उनसे बात की और उनके व्यावसायिक उपक्रमों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाया।'' एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 के तहत एक मामला दर्ज किया गया है।
--आईएएनएस
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