लॉ कमीशन का सुझाव, BCCI को भी लाया जाए RTI के दायरे में
लॉ कमीशन का सुझाव, BCCI को भी लाया जाए RTI के दायरे में
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) में जल्द ही बड़े बदलाव देखने को मिल सकते है। दरअसल, BCCI को सूचना का अधिकार (RTI) के तहत लाने की सिफारिश लॉ कमीशन ऑफ इंडिया ने की है। लॉ कमीशन ने इससे संबंधित अपनी रिपोर्ट भी केंद्र सरकार को सौंप दी है। दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड में पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार को खत्म करने के मकसद से यह सुझाव दिया गया है।
BCCI को मिले पब्लिक बॉडी का दर्जा
आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग का मामला सामने आने के बाद से ही क्रिकेट बोर्ड में सुधार के लिए कई बड़े कदम उठाए गए है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता में बनाई गई लॉ कमीशन ने अब BCCI को RTI के दायरे में लाने का सुझाव केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के पास भेजा है। लॉ कमीशन ने सरकार से अपनी रिपोर्ट में कहा है कि BCCI को एक पब्लिक बॉडी का दर्जा मिले। BCCI को नेशनल स्पोर्ट फेडरेशन का दर्जा दिया जाए। फिलहाल बीसीसीआई तमिलनाडु सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत दर्ज है, लेकिन यदि लॉ कमीशन की सिफारिशें लागू होती हैं तो इसे सार्वजनिक संस्था में बदला जा सकता है।
और क्या कहा गया है रिपोर्ट में?
- BCCI को संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत "स्टेट" के तौर पर वर्गीकृत किया जाना चाहिए।
- BCCI को टैक्स छूट और जमीन के मामले में सरकार से बड़ी छूट मिलती है।
- BCCI को 1997-2007 के दौरान 21 अरब 68 करोड़ 32 लाख 37 हजार 489 रुपये की टैक्स में छूट मिली।
- BCCI एक ओर अपने क्रिकेटरों को अर्जुन अवार्ड के लिए नॉमिनेट करती है, वहीं दूसरी ओर खुद को एक नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन न होने की दलील देती है।
- संसद और राज्य विधानमंडलों ने क्रिकेट के खेल को नियंत्रित करने के लिए उसे नहीं चुना है।
1928 में हुआ था BCCI का गठन
अगर सरकार कमीशन के सुझाव को मान लेती है और BCCI को सार्वजनिक संस्था या आरटीआई के दायरे में आने वाली संस्था का दर्जा दे देती है तो फिर राज्य, जोन या नेशनल टीम में खिलाड़ियों के चयन को लेकर कोई भी सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सकता है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) से सम्बद्ध बोर्ड है जिसका गठन दिसंबर 1928 में हुआ था। बीसीसीआई का मुख्यालय मुंबई शहर में है। तमिलनाडु सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत इसे पंजीकृत किया गया था। आर ई ग्रांट गोवन इसके पहले राष्ट्रपति और एंथनी डी मेलो सचिव के रूप में के रूप में निर्वाचित हुए थे।