भ्रष्टाचारियों पर दबिश: 242 करोड़ के गबन मामले में महिला बैंक के संचालक मंडल समेत और 23 नामजद

242 करोड़ के गबन मामले में महिला बैंक के संचालक मंडल समेत और 23 नामजद
  • दो वर्ष पहले आरबीआई ने लाइसेंस किया था रद्द
  • आरोपियों की संख्या पहुंची 206 पर
  • जांच के पश्चात की गई एफआईआर दर्ज

डिजिटल डेस्क, यवतमाल। बाबाजी दाते महिला सहकारिता बैंक में 242 करोड़ के गबन मामले में 23 आरोपियों पर मामला दर्ज किया गया है। अब इन आरोपियों की संख्या बढ़कर 206 हो जाएगी। 2 साल पहले ही आरबीआई ने पहले व्यवहार बंद करवा दिए। बाद में बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया। इसके बाद यहां प्रशासक पद पर डीडीआर की नियुक्ति कर दी थी। अमरावती की विशेष लेखा परीक्षक सुनीता पांडे ने गहराई से जांच की और उनकी शिकायत पर यह एफआईआर दर्ज की गई है।

सहकार आयुक्त पुणे द्वारा उनकी नियुक्ति इस जांच के लिए की गई थी। एफआईआर में जिन 23 लोगों के नाम हैं, उसमें प्रथम सीईओ अशोक कंचलवार (अब मृत), 2022 तक सीईओ रहीं सुजाता महाजन (चौबे) के साथ अब तक के बैंक के जो अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव रहे उन सभी के साथ संचालक मंडल, कर्ज में फर्जी कागजात देकर करोड़ों का कर्ज लेनेवाले शामिल हैं। 12 अगस्त की देर रात अवधुतवाड़ी थाने में यह एफआईआर दर्ज की गई। यह शिकायत 8 दिन पहले की गई थी। मगर थानेदार द्वारा वरिष्ठों से इसमें मार्गदर्शन मांगने के चलते विलंब से एफआईआर दर्ज की गई। जांच अधिकारी पांडे को बैंक के संचालक मंडल और अधिकारियों ने मिलीभगत कर 242 करोड़ 31 लाख 21 हजार रुपये की धांधली का पता चला। इसकी रिपोर्ट 24 जुलाई 2024 को राज्य सहकार आयुक्त को भेज दी गयी थी। इस रिपोर्ट को मंजूूरी मिलते ही विशेष लेखा परीक्षक सुनीता पांडे ने यह रिपोर्ट एलसीबी को सौंपी और उचित कार्रवाई का अनुरोध किया। इस मामले में अतिरिक्त महासंचालक से कार्रवाई की अनुमति मांगी गई थी। उनकी अनुमति के बाद यह मामला दर्ज हुआ है।

बाबाजी दाते महिला बैंक द्वारा नियमों को ताक पर रखकर अत्यल्प राशि के खेत या प्लॉट पर कई गुना कर्ज वितरित किया गया था। तत्कालीन सीईओ अशोक कंचलवार ने अपने बेटे, बेटी, पत्नी के नाम से 25 करोड़ रुपये कर्ज लिया। अन्य कुल 53 कर्ज मामले में कंचलवार परिवार का नाम है। यह कर्ज खैरात के तौर पर बांटा गया। इसे लेकर जो जमीन गिरवी रखी गयी उसका मूल्यांकन कई गुना बढ़ाचढ़ाकर बताकर कर्ज बांटा गया था। इससे बैंक के हजारों निवेशकों के साथ धोखाधड़ी होनेे की बात ऑडिट में पता चली । इस कारण तत्कालीन सीईओ अशोक कंचलवार (अब मृत) समेत यवतमाल निवासी कमलकिशोर जयस्वाल (67), शिवनारायण भुतडा (62), हितेश गंडेचा (61), वणी निवासी रविंद्र येरणे (52), विक्रम नानवाणी (52), प्रकाश आनंद पिसाल (63) नागपुर निवासी राजेंद्र गायकवाड़ (49), दीपक निलावार (60), विद्यमान सीईओ सुजाता महाजन के पति विलास सुधाकर महाजन (60), पवन राऊत (42), सुदर्शन ढिलपे (60), प्रमोद सबनिस (50), स्वप्निल अमरी (45), सचिन माहुरे (50), योगेश नानवाणी (50), विमल दुर्गमवार (50), सुभाष तोटेवार (60), अशोक दुर्गमवार (50), सुजाता महाजन(चौबे) (50), सुरेंद्र केलापुरे (55), ललिता निवल (65), विद्या शरद केलकर (60) समेत बैंक में कार्यरत अधिकारी, कर्मी, ऑडिटर आदि के खिलाफ यह मामला दर्ज किया है। शहर और जिले के निवेशकों ने अपनी कमाई की पूंजी बैंक में अधिक ब्याज मिलने की उम्मीद से निवेश की थी। लेकिन आज सैकड़ों निवेशक अपनी ही जमा पूंजी वापस पाने के लिए बैंक से लेकर सहकार विभाग कार्यालय के चक्कर काटते दिखाई दे रहे हंै।

Created On :   14 Aug 2024 9:07 AM GMT

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