लोकसभा चुनाव: तेलुगु बिड्डा अपना मुंह नहीं दिखा सकते, हजारों की तादाद में पुतलों की पहचान छुपा दी गई
- कुछ राजनीतिक व्यक्तियों के पुतलों को ढंकने का आदेश
- दलाई लामा के नाम वाले शिलालेख की दुर्गति
- राजशेखर के 70 से अधिक और एनटीआर के 40 से ज्यादा पुतलों को ढंका
डिजिटल डेस्क, अमरावती, प्रकाश दुबे। आंध्र प्रदेश की प्रस्तावित और अनिश्चित राजधानी अमरावती सहित राज्य में सैकड़ों नहीं हजारों की तादाद में ऐसे पुतले हैं, कपड़े, कागज आदि से लपेट कर जिनकी पहचान छुपा दी गई है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दो सर्वाधिक चर्चित नेता इनमें शामिल हैं। नंदमूरि तारक रामाराव को एनटीआर के नाम से जाना जाता है।
तेलुगु फिल्मों के महानायक और डॉ. राममनोहर लोहिया के बाद गैर कांग्रेसवाद को अपने प्रदेश आंध्र में साकार करने वाले तेलुगु देशम पार्टी के संस्थापक है। बरसों तक अविभाजित आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। देश भर के गैर कांग्रेसी नेताओं के सम्मेलन बुलाए जिनमें अटलबिहारी वाजपेयी, जॉर्ज फर्नांडिस, मधु दंडवते समेत अनेक राष्ट्रीय नेता शामिल होते थे।
दूसरे हैं- वाय एस राजशेखर रेड्डी। अपने वक्त में कांग्रेस के तत्कालीन नेतृत्व के लाडले। अनेक योजनाओं के बूते प्रदेश से लोकसभा में बड़ी संख्या में सांसद भेजे। दिल्ली की सत्ता में कांग्रेस को मजबूती से बनाए रखने में बड़ा योगदान दिया। एनटीआर को दामाद नरा चंद्रबाबू नायडू ने सत्ता से हटाया। मुख्यमंत्री बने। नाराजगी इस बात की थी कि रामाराव उनके लिए नई सास ले आए थे। तेलुगु देशम पार्टी के हर कार्यालय में आज एनटीआर की विशालकाय मूर्तियां हैं। दर्जनों तस्वीरें पार्टी कार्यालयों की शोभा बढ़ाती हैं। तेदेपा के अध्यक्ष चंद्रबाबू हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए विमान दुर्घटना में राजशेखर की मृत्यु हुई। उनके बेटे जगनमोहन रेड्डी मुख्यमंत्री हैं। पार्टी का नाम वायएसआर कांग्रेस है।
निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार कुछ राजनीतिक व्यक्तियों के पुतलों को ढंकने का आदेश जारी किया गया है। राजशेखर रेड्डी के प्रदेश में एक हजार से अधिक पुतले होंगे, ऐसा अमरावती के बाशिंदे अप्पाराव का अनुमान है। बचपन से एनटीआर से प्रभावित कृष्णा मोहन का अंदाज है कि एनटीआर के छह सौ के आसपास बड़े पुतले खड़े होंगे। वक्ष पुतले अलग। सिर्फ अमरावती विधानसभा क्षेत्र में ही राजशेखर के 70 से अधिक और एनटीआर के 40 से ज्यादा पुतलों को ढंक दिया गया है।
एनटीआर की बेटी पुरंदेश्वरी भाजपा से लोकसभा और अभिनेता बेटा बालकृष्ण, दामाद चंद्राबाबू और नाती लोकेश तेदेपा के विधानसभा उम्मीदवार हैं। बालकृष्ण के दामाद भारत विशाखापतनम से तेदेपा के लोकसभा प्रत्याशी हैं। अजीब बात यह है कि पड़ोसी तेलंगाना में भी एनटीआर का चेहरा नहीं देखा जा सकता। हैदराबाद में एनटीआर की स्मृति में भव्य स्मारक है। चौराहे की मूर्तियों के ढके चेहरों से उनका बाहर निकला हाथ नज़र आता है। राजशेखर रेड्डी का मुख्यमंत्री बेटा जगन और एक चचेरा भाई आंध्र प्रदेश विधान सभा और बेटी शर्मिला कड़पा से कांग्रेस की लोकसभा उम्मीदवार है।
पुरंदेश्वरी और शर्मिला प्रदेश में अपनी अपनी पार्टी की कमान संभाल रही हैं और चंद्राबाबू तथा जगन विधानसभा में दल की कप्तानी कर रहे हैं। शर्मिला ने कल कड़पा में कहा-मेरे प्रतिद्धंद्धी और वायएसआर पार्टी के उम्मीदवार अविनाश रेड्डी चुनाव के बाद भागने की फिराक में हैं। अविनाश अपने भाई और शर्मिला के दूसरे काका विवेकानंद की हत्या में आरोपी हैं। विवेकानंद की बेटी सुनीता दम-खम के साथ चचेरी बहन का प्रचार कर रही है। युवा उद्योजक रोहित प्रदेश में परिवारवाद की भरमार को इसका कारण मानते हैं।
(दलाई लामा के नाम वाले शिलालेख की दुर्गति)
शिलालेख पर चिपकाया अखबार
चुनाव आयोग के आदेश की पकड़ में दलाई लामा जैसे महापुरुष आ गए हैं। डा आंबेडकर संग्रहालय के उद्बघाटन में दलाई लामा स्वयं अमरावती आए थे। अखबार चिपका कर तेलुगु और अंगरेजी में लिखित शिलालेख में दलाई लामा का चेहरा नहीं है। सिर्फ नाम हैं। दलील है कि उसमें स्थानीय नेता का नाम भी अंकित है। भारी बारिश ने चुनाव मशीनरी की मेहनत पर पानी फेर दिया।