मैंग्निज खदान के कारण मानव निर्मित पर्वत के भूस्खलन का बढ़ा खतरा

  • मैंग्निज खदान के कारण बन पहाड़
  • पर्वत के भूस्खलन का बढ़ा खतरा

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-27 11:19 GMT

डिजिटल डेस्क, तुमसर, महेश गायधने। हाल ही में रायगड जिले के इरशालवाड़ी में भूस्खलन से एक रात में पूरा गांव तबाह हो गया। जिसमें अब तक 27 व्यक्ति से भी ज्यादा की मृत्यु हुई है। ऐसी परिस्थिति तुमसर तहसील के कुरमुडा व बालापुर गांव में होने की आशंका है। इन जगहों पर खान प्रशासन ने वेस्टेज मटेरियल डम्पिंग किया है। इन दोनों गांवों पर मृत्यु का साया मंडरा रहा है। गौरतलब है कि खान प्रशासन ने तीन से चार वर्ष पूर्व बालापुर के खान मजदूरों के क्वाॅटर यहां से चांदमारा मार्ग पर निर्माण किए। तुमसर तहसील के ब्रिटिश कालीन बालापुर में खुली मैंगनीज खान है। इस खान से प्रतिदिन सैकड़ों ट्रक वेस्ट मटेरियल खान से निकाला जाता है। यह वेस्टेज मटेरियल खान परिसर की खुली जगह में डम्पिंग किया जाता है। जो अंगरेजों के जमाने से निरंतर शुरू है। इसलिए बालापुर व कुरमुडा गांव के पास जगह जगह पर मानव निर्मित बडे पर्वत निर्माण हुए है। इन पर्वतों से सटे ही बालापुर व कुरमुडा के नागरिकों की बस्ती है। बारिश के मौसम में इन पर्वतों का भूस्खलन होकर दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है, परंतु खान प्रशासन इस ओर हमेशा अनदेखी करता आ रहा है। खान प्रशासन की ओर से यहां पर सुरक्षा दीवार बनाई गई है, परंतु इस दीवार की ऊंचाई बहुत कम है। इतनी कम ऊंचाई की दीवार पर्वतों के भूस्खलन से सुरक्षा कैसे करेगी,ऐसा प्रश्न निर्माण हो रहा है। बालापुर की खुली मैंगनीज खान से निकला वेस्ट मटेरियल बड़ी मात्रा में बालापुर व कुरमुडा इन गांवों की सीमा के पास डाला गया है। इसलिए यहां मानव निर्मित पर्वत तैयार हुआ है। खान प्रशासन ने इन दोनों गांव का पुनर्वसन करना सुरक्षा के दृष्टि से आवश्यक था। परंतु वैसा नहीं किया गया। इस ओर जिला प्रशासन हमेशा इस बात की ओर अनदेखी करता आ रहा है। बालापुर खान से मैंगनीज निकालने के लिए विस्फोट किए जाते हैं। इन विस्फोट में गांव की जमीन को झटका लगना आम बात हो गई है। जिसके कारण यहां के ग्रामीणों के घरों में दरारें आ रही है। सरकार के भूगर्भ विज्ञान विभाग की ओर से इस गांव का सर्वेक्षण किया गया या नहीं यह भी पता नहीं है। खान प्रशासन ने तीन से चार वर्ष पूर्व यहां के मजदूरों के लिए क्वाटर्स का निर्माण चांदमारा परिसर में किया है, परंतु अभी भी यहां खान परिसर में मानव निर्मित पर्वतों के नीचे गांव बसे हैं। जान हथेली पर रखकर यहां के नागरिक जीवनयापन कर रहे हैं। उनके पुनर्वसन का प्रश्न अभी भी है। यहां के ग्रामस्थों के ज्यादा पढ़े लिखे न होने का फायदा खान प्रशासन उठा रहा है।

जन प्रतिनिधियों के ध्यान देने की जरूरत : वर्ष 2014 में मालीन गांव में भी ऐसा ही हुआ था। पिछले कुछ दिन पूर्व इरशालवाड़ी में भी भूस्खलन के कारण 27 लोगों को अब तक जान गंवानी पड़ी। आज भी यहां पर 52 नागरिक लापता है। ऐसे में तुमसर के बालापुर तथा कुरमुड़ा ग्राम में ऐसी कोई दुर्घटना न हो इसलिए जन प्रतिनिधियों को ध्यान देने की जरूरत है।

पुनर्वसन की प्रक्रिया शुरू है

कमलाकर चौधरी, मैनेजर, डोंगरी खान के मुताबिक कुछ स्थानों का पुनर्वसन किया गया है। कुछ जगह की पुनर्वसन प्रक्रिया शुरू है। वहीं कुछ लोग अतिक्रमण धारक है। वेस्ट मटेरियल के पहाड़ों से लोगों की कॉलोनी आधा किमी दूर है।


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