लॉकडाउन में मैकेनिक ने सीखा कचरे को कलाकृति बनाने का हुनर
- आंबोली-चौकुल के गांव के संदीप गावडे ने खाली समय का किया सदुपयोग
- मैकेनिक ने सीखा कचरे को कलाकृति बनाने का हुनर
- लॉकडाउन में सीखा
डिजिटल डेस्क, सिंधुदुर्ग, दुष्यंत मिश्र. कोरोना संक्रमण के दौरान लगे लॉकडाउन ने ज्यादातर लोगों को बहुत परेशान किया और उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वे क्या करें। लेकिन सिंधुदुर्ग जिले आंबोलीचौकुल गांव के ऑटोमोबाइल मैकेनिक संदीप गावडे ने इस खाली समय का इस्तेमाल कुछ इस तरह का हुनर सीख लिया है कि आज बड़ी संख्या में लोग उनके प्रशंसक बन गए। गावडे ने ऐसी चीजों से कलाकृतियां बनानी शुरू कर दी जिसे लोग कचरा समझकर फेंक देते हैं। गावडे ने हाल ही में आत्महत्या करने वाले कला निर्देशक नितिन देसाई को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए नारियल की खोल और उसकी जटाओं का इस्तेमाल कर एक प्रतिकृति बनाई है। गावडे ने कहा कि वैसे तो मैं बचपन ने ही कुछ देखता था तो कचरे में मौजूद सामान का इस्तेमाल कर उसकी प्रतिकृति बनाता था। लेकिन बाद में रोजी रोटी की जरूरत के चलते ऑटोमोबाइल मैकेनिक के तौर पर काम करने लगा और इसी में व्यस्त हो गया। लेकिन जब लॉकडाउन लगा और पूरा देश थम गया मेरे पास भी करने को कुछ नहीं था ऐसे में मैंने अपने शौक को और निखारना शुरू किया। जिसने भी मेरे द्वारा बनाई गई कलाकृतियों को देखा उसकी खूब सराहना की।
मार्केटिंग नहीं जानता, लोगों को मुफ्त भी देता हूं कलाकृतियां
गावडे ने कहा कि मुझे मार्केटिंग नहीं आती और मैं नहीं जानता कि क्या इन कलाकृतियों का कोई बाजार है जहां इन्हें बेचा जा सकता है। मैं कलाकृतियों की कोई कीमत नहीं रखता लेकिन यहां आने वाले पर्यटकों में से किसी को कलाकृति पसंद आई तो वे अपनी इच्छा के मुताबिक पैसे दे देते हैं। कई बार मैं इसे मुफ्त में उन्हें दे देता हूं। मेरे लिए लोगों की प्रशंसा ज्यादा मायने रखती हैं। गावडे ने कहा कि मैं प्रकृति को बारीकी से देखता हूं और उसमें कई चीजें मिल जातीं हैं जिनका इस्तेमाल कर आकर्षक कलाकृतियां बनाई जा सकती हैं। सिर्फ आकर्षक कलाकृतियां ही नहीं गावडे ने पुरानी और खराब हो चुकी चीजों का इस्तेमाल कर आकर्षक मोबाइल स्टैंड, हुक, हैंगर, आइने का फ्रेम जैसी उपयोगी चीजें भी बनाई है।