शहडोल: व्यक्ति अर्थ और परमार्थ को जान ले तो उसका जीवन सार्थक हो जाए - मुनीश्री प्रमाण सागर
- गुरूदेव प्रमाण सागर जी के साथ में पांच छुल्लक श्री का भी प्रथम बार शहडोल में मंगल प्रवेश हुआ।
- मंगल प्रवेश हुआ तो अगवानी के लिए बड़ी संख्या में लोग लल्लू सिंह चौक पहुंचे।
- यह यात्रा झारखंड के समवेद शिखर जी से एक माह पूर्व प्रारंभ होकर कुंडलपुर की ओर चल रही है।
डिजिटल डेस्क,शहडोल। विराट नगर को आचार्य विद्यासागर महराज के परम शिष्य मुनि प्रमाण सागर जी का 30 वर्षों बाद सानिध्य मिला। मुनिश्री सोमवार सुबह 9 बजे विराट नगर की पावन धरा मंगल प्रवेश हुआ तो अगवानी के लिए बड़ी संख्या में लोग लल्लू सिंह चौक पहुंचे।
यहां जयकारे लगाते हुए मुनिश्री के साथ जैन मंदिर तक पैदल चले। अगवानी सिंधी समाज, पंजाबी समाज, केशरवानी समाज एवं गायत्री परिवार सहित अन्य समाज ने की और रास्ते में पाद प्रक्षालन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। गुरूदेव प्रमाण सागर जी के साथ में पांच छुल्लक श्री का भी प्रथम बार शहडोल में मंगल प्रवेश हुआ।
यह यात्रा झारखंड के समवेद शिखर जी से एक माह पूर्व प्रारंभ होकर कुंडलपुर की ओर चल रही है। सोमवार को मुनिश्री प्रमाण सागर का सानिध्य जैन मंदिर में चल रहे सिद्ध चक्र विधान महामंडल के लिए प्राप्त हुआ। मंदिर पहुंचने पर प्रवचन के माध्यम से मुनिश्री ने चार बातों का अनुसरण और उन पर ध्यान देने के लिए प्रेरित किया। इसमें अर्थ, अनर्थ, व्यर्थ और परमार्थ शामिल है।
गुरूदेव ने कहा कि अगर व्यक्ति अपना कल्याण करना चाहता है तो अर्थ और परमार्थ के बारे समझ ले तो कल्याण संभव है। नहीं तो अनर्थ और व्यर्थ में पडक़र व्यक्ति संसार में ही भटकता रहता है। यहां से मुनिश्री आहार चर्या के लिए निकले तो सुनील सिंघई को सेवा का अवसर प्राप्त हुआ।