श्रद्धा के दीप जलाने का प्रयास करें: विराग सागर जी महाराज

Bhaskar Hindi
Update: 2023-08-09 06:59 GMT

डिजिटल डेस्क, पन्ना। सलेहा के समीपवर्ती अति प्राचीन जैन तीर्थ श्रेयांश गिरी मेंं चातुर्मास देश के ज्येष्ठ श्रेष्ठ दिगंबराचार्य भारत गौरव उपसर्ग विजेता राष्ट्रसंत गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महामुनि राज विशाल संघ सहित विराजमान है प्रतिदिन अनेक प्रांतों से जैन धर्मावलंबियों के पधारने का तांता लगा हुआ है। आगंतुक अतिथियों की आवास एवं भोजन की चातुर्मास समिति द्वारा बेहतर व्यवस्था की गई। राष्ट्र संत विराग सागर जी महाराज के प्रतिदिन धर्मसभा ने भक्तों को आशीष वचन देकर धन्य कर रहे हैं। आज आयोजित विशाल धर्म सभा ने गुरूवर ने अपनी अमृतवाणी में कहा कि इस संसार में ऐसे जीव विरले है जो धर्माभिमुरत अपने और दूसरे के कल्याण निमित्त बने है। धर्मात्मा तो लाखों की संख्या में नजर आते है किन्तु जो स्वयं के साथ और सभी श्रद्धा रूपी दीप जला सके ऐसे धर्मात्मा बहुत कम है।

आपने कहा कि अनेक ऐसे भी धर्मात्मा है जो स्वयं की प्रभावना नाम ख्याति प्रसिद्ध के लिए दूसरे धर्मात्माओं के विषय में ईष्र्या करते है और ऐसा करने पर वे सोचते है कि मैं धर्म की प्रभावना कर रहा हॅूं लेकिन वास्तविकता यह है कि ऐसे लोग प्रभावना नहीं अप्रभावना कर रहे हैं। हमेशा ध्यान रखें कि श्रद्धा के दीप यदि जला नहीं सकते तो बुझाने का प्रयास मत करें। भगवान कहते है कि श्रद्धा के दीप जलाओ यह अच्छी बात है किन्तु जले हुए श्रद्धा के दीपक को देखकर जलो मत आपने बताया कि प्रत्येक धर्म पुरूषों को चाहिए कि अपने धर्म उद्बोधन से लोगों के हृदय में धर्म की बात भरें न कि ऐसा व्यर्थ वचन लाभ करें जिससे सुन धर्मात्मा भ्रमित हो जाये। धर्म की गद्दी में बैठकर यदि अधर्म की बाते करने लगे तो इससे धर्म की क्षति होगी। 

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