संपन्न हुई सल्लेखना समाधि, अंतिम दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब
डिजिटल डेस्क, पन्ना। सलेहा के समीप अतिशय क्षेत्र श्रेयांश गिरी तीर्थ पर राष्ट्रसंत गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महामुनि राज के सानिध्य में श्रमणी आरिका विमोहिता श्री माताजी की सल्लेखना समाधि आज दिनांक 17 जुलाई दोपहर 1:08 बजे पूज्य गुरुदेव के श्रीमुख से महामंत्र सुनते हुए निर्विघ्न संपन्न हुई। मीडिया प्रभारी भरत सेठ घुवारा ने जानकारी देते हुए बतलाया कि ब्रह्मचारिणी क्रांति जैन निवासी सागर ने पूज्य गुरुदेव से 2002 में 2 प्रतिमा तथा 2023 में सात प्रतिमा के व्रत ग्रहण किए। ढाई माह पूर्व कैंसर की बीमारी से ग्रसित होने पर आपने स्वयं भावना व्यक्त की थी कि मुझे गणाचार्य श्री के पास समाधि के लिए ले चलो।
उनकी भावना अनुसार ०9 जुलाई को परिवारिकजन उन्हें पूज्य गणाचार्य श्री के पास लाए तथा उनकी स्थिति गंभीर देख गुरुदेव ने उन्हेंं 10 जुलाई को छुलिका दीक्षा 14 जुलाई को आरिका दीक्षा एवं चारों प्रकार के आहार का त्याग कराया। दिनांक 17 जुलाई को दोपहर 1:08 बजे हजारों श्रद्धालुओं के मध्य गुरुमुख से णमोकार महामंत्र श्रमण करते हुए क्षमता के साथ माताजी ने नश्वर देह का विसर्जन कर स्वर्ग की ओर प्रयाण किया। दोपहर ०2 बजे गाजे-बाजे के साथ अंतिम संस्कार हेतु ढोला निकाला गया। जिसमेंं संपूर्ण श्रेयांश गिरी अंचल सहित जैन, जैनेत्रर समाज ने शामिल होकर पुण्यार्जन किया और हजारों श्रीफल एवं चंदन की लकड़ी देह विसर्जन किया गया। जैन धर्म की अनूठी क्रिया सल्लेखना समाधि में माताजी कि देह का अंतिम संस्कार चंदन की लकड़ी, घी, कपूर एवं हजारों श्रीफल से की गई।