पन्ना: मित्रता जात-पात और छोटा-बडा नहीं देखती: पंडित रामदुलारे पाठक
- मित्रता जात-पात और छोटा-बडा नहीं देखती: पंडित रामदुलारे पाठक
- सुदामा चरित्र सुनकर भावविभोर हुए श्रोतागण
डिजिटल डेस्क, पवई नि.प्र.। नगर के लटोरिया मोहल्ला निवासी प्रवीण कुमार, सुमन कुमार लटोरिया के निवास पर चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा में मंगलवार को कथा व्यास पंडित रामदुलारे पाठक द्वारा सुदामा चरित्र की कथा का वर्णन किया गया। जिसको सुनकर उपस्थित समस्त श्रोता भाव विभोर हो गए और उनकी आंखें नम हो गई। महाराज जी ने भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की बचपन की मित्रता को बताते हुए कहा कि सच्चा मित्र वही है जो अपने मित्र की परेशानी को समझें और बिना बताए ही मदद कर दे परंतु आजकल स्वार्थ की मित्रता रह गई है। जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता तब तक मित्रता रहती है स्वार्थ पूरा होने पर मित्रता खत्म हो जाती है। उन्होंने कहा कि एक बार सुदामा जी अपनी पत्नि सुशीला के कहने पर अपने बचपन के मित्र कृष्ण से मिलने द्वारकापुरी जाते हैं जब वह द्वारकापुरी पहुंचे तो द्वारका की भव्यता को देखकर वह दंग रह गए।
पूरी नगरी सोने की थी लोग बहुत सुखी थे। सुदामा पूछते-पूछते श्री कृष्ण के महल तक पहुंचे दरवान ने साधु जैसे लगने वाले सुदामा से पूछा है यहां क्या काम है। सुदामा ने जवाब दिया मुझे श्रीकृष्ण से मिलना है वह मेरा मित्र है अंदर जाकर कहिए कि सुदामा आपसे मिलने आया है। दरवान को सुदामा के वस्त्र देखकर और उसकी दीन हीन स्थिति को देखकर हंसी आई। उसने जाकर श्री कृष्ण को बताया कोई सुदामा नाम का व्यक्ति जो अपने आप को आपका बचपन का मित्र बता रहा है आपसे मिलने आया है। सुदामा का नाम सुनते ही कृष्ण खड़े हो गए और सुदामा से मिलने दौड़े सभी आश्चर्य से भगवान को देख रहे थे साथ ही यह सोच रहे थे यह कहां का राजा है कहां का यह साधु है। कथा के सफल आयोजन में यजमान पंडित प्रवीण, श्रीमती शीला लटोरिया, डॉ. सुमन, श्रीमती नीलम लटोरिया, प्रमोद, प्रदीप मनोज, मनीष, सनी, ऋषि गुड्डु सहित समस्त लटोरिया परिवार शामिल है।