जान जोखिम में डालकर घर लौटने को मजबूर हैं मजदूर
जान जोखिम में डालकर घर लौटने को मजबूर हैं मजदूर
डिजिटल डेस्क बालाघाट। मजदूरों से लदा एक ट्रक फिर जिला मुख्यालय से होकर गुजरा। ये मजदूर बालाघाट के बैहर और बिरसा के मजदूरों की तरह ही तेलंगाना मिर्ची तोडऩे का काम करने होली के बाद वहां गये थे, लेकिन सिर्फ 15 दिन काम करने के बाद लॉक डाउन ने पहले इनकी रोजी छिन ली और फिर लगभग 40 दिनों तक बिना रोजगार और राशन पानी के वहां फंसे रहे। बाद में मजदूर घर वापसी के लिए ठेकेदार की मदद से वहां कमाए अपने सारे रुपये चुका कर बालाघाट और मंडला के लिए ट्रक पर सवार होकर अपने गृह जिला के लिए रवाना हो गए।
46 मजदूर लेकर पहुंचा ट्रक-
ऐसे ही एक खुले ट्रक में लदे 46 मजदूर आज तेलंगाना से बालाघाट पहुंचे जिन्हें यहां से मंडला के नैनपूर जाना था। इस मजदूरों ने ट्रक के माध्यम से लगभग 800 कि.मी. का सफर भरी गर्मी में 2 दिन में पूरा किया। पूँछने पर पता चला की मजदूरों के ठेकेदार ने ही उनकी परेशानी देख उनके लिये ट्रक की व्यवस्था की, लेकिन उसके बदले इन मजदूरों को 4 से 5 हजार रुपये तक प्रति व्यक्ति अपने घर आने की किमत चुकानी पड़ी। यह वह राशि थी जो इन मजदूरों ने हैदराबाद के समीप मिर्ची तोडऩे का काम कर एक पखवाड़े में कमाई थी। मजदूर घर तो पहुंच गए लेकिन अब उनके हाथ पूरी तरह खाली है।
तेलंगाना सरकार दे रही अनुमति-
मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार किसी भी मालवाहक में मजदूरो या किसी व्यक्ति को परिवहन की अनुमति नही है। केवल माल वाहक के साथ नियमानुसार दो वाहन चालक, एक क्लिनर और 6 ढुलाई श्रमिकों की छूट है। ऐसे में इन मजदूरों का ट्रकों में लाद कर परिवहन मोटर व्हीकल एक्ट का पूरा उल्लंघन है, लेकिन तेलंगाना प्रशासन द्वारा इन्हें अनुमति दिए जाने के कारण स्थानिय स्तर पर इस तरह के ट्रकों के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। प्रशासनिक अधिकारी भी मजदूरों की परेशानी को देख मौन दिखाई पड़ रहे है।
25 और ट्रको में और आएंगे मजदूर-
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार आज आया ट्रक मजदूरों को जिले से मंडला ले गया था। जहां नैनपूर पहुंचते ही वहां के स्थानीय प्रशासन ने इस मजदूरों को बसों के माध्यम से स्वास्थ्य परिक्षण उपरांत उनके घर भेज दिया। लेकिन इस तरह के और 25 ट्रक मजदूरों केा लेकर आने की जानकारी प्रशासन को मिली है।