महिला सशक्तिकरण को मिला नया आयाम, स्वयं सहायता समूह के माध्यम से आगे बढ़ रही आधी आबादी

थिरुअनामलई महिला सशक्तिकरण को मिला नया आयाम, स्वयं सहायता समूह के माध्यम से आगे बढ़ रही आधी आबादी

Bhaskar Hindi
Update: 2022-06-08 16:06 GMT
महिला सशक्तिकरण को मिला नया आयाम, स्वयं सहायता समूह के माध्यम से आगे बढ़ रही आधी आबादी

डिजिटल डेस्क, अजीत कुमार, थिरुअनामलई। 37 वर्षीया नित्या दो वर्ष पहले दिल्ली के मयूर विहार में तंगहाली की जिंदगी जी रही थी, लेकिन अब उसे तमिलनाडु के आरणी ब्लॉक के अपने गांव में ही रोजगार मिल गया है। अब वह गांव में केले के रेशे से टोकरी और दूसरे उत्पाद तैयार कर रही है और इस काम से प्रति महीने 6 हजार रुपए से अधिक कमा रही है। इस रकम से वह न केवल अपना घर चला रही है, बल्कि अपने दो बच्चों को पढ़ा भी रही है।

नित्या के सपने को साकार कर रहा एसएसटी

नित्या के इस सपने को उसके गांव में ही श्रीनिवासन सर्विसेज ट्रस्ट (एसएसटी) ने साकार किया है। दरअसल एसएसटी ने वेल्लोर और थिरुअनामलई के दर्जनों गांवों में यहां की महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने का बीड़ा उठाया है। चाहे केले के पेड़ के रेशे से टोकरी, ट्रे समेत अन्य सजावटी उत्पाद हो या शहद तैयार करना, कपड़ों की सिलाई-बनाई हो या मसाले की पैकिंग, एसएसटी इन क्षेत्रों में नित्या जैसी सैकड़ों महिलाओं के कौशल को निखार कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रहा है।

विदेश भेजे जा रहे केले से बने उत्पाद

अरणी क्षेत्र में एसएसटी के फील्ड डायरेक्टर त्यागराजन ने बताया कि स्व सहायता समूह के तहत सैकड़ों महिलाएं केले के पेड़ के रेशे से टोकरी, ट्रे, रस्सी आदि सामान तैयार कर रही हैं। केले से बने उत्पाद विदेश भी भेजे जा रहे हैं। इस ब्लॉक की आदिवासी महिलाएं शहद बनाने के काम में जुटी हैं। इन महिलाओं के पति  अरनी के सुदूर इलाके में एसएसटी की मदद से आदिवासी महिलाएं शहद तैयार करने का भी काम करती हैं। त्याग राजन ने बताया कि आदिवासी पुरूष जंगल से शहद लाते हैं और एसएसटी उनसे शहद खरीदती है। इसके बाद स्व सहायता समूह के तहत आदिवासी महिलाएं उसको परिष्कृत कर उसकी पैकिंग करती हैं। इससे हर घर में 5 से 6 हजार की आमदनी हो रही है। 

खुद का ब्रांड बनाने में जुटीं महिलाएं

स्व सहायता समूह के माध्यम से महिलाएं अब अपना खुद का ब्रांड बनाने में जुटी हैं। अभी महिलाओं का यह समूह बच्चों, औरतों के कपड़े सिलकर स्थानीय बाजार में बहुत ही कम मुनाफे पर दे रहा है। एसएसटी के डायरेक्टर अखिलन ने बताया कि महिलाओं को प्रशिक्षण देने की शुरुआत वर्ष 2021 से हुई। उन्होंने बताया कि शुरुआत में महिलाओं को तीन महीने की ट्रेनिंग दी गई। इस दौरान उन्हें ब्लाउज सिलने का प्रशिक्षण दिया गया। उसके बाद स्थानीय बाजार में प्रशिक्षित महिलाओं के लिये काम ढूंढा जाने लगा। किंतु, बाजार में पहले से स्थापित ब्रांड थे, उन्होंने महिलाओं के प्रशिक्षण को कम बताते हुए काम देने से इंकार कर दिया। तब एसएसटी ने महिलाओं को और ज्यादा प्रशिक्षण देने और इलेक्ट्रिक सिलाई मशीन पर काम करने का प्रशिक्षण दिया। इसके बाद प्रशिक्षित महिलाओं के स्व सहायता समूह को बैंक से दो लाख तक का कर्ज दिलाया गया। 
 

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