ऑपरेशन के बाद महिलाओं को नहीं मिला स्ट्रेचर, पीठ और गोद का दिया सहारा
अव्यवस्थाओं के बीच परेशान दिखाई दिए परिजन ऑपरेशन के बाद महिलाओं को नहीं मिला स्ट्रेचर, पीठ और गोद का दिया सहारा
डिजिटल डेस्क,कटनी। सीएमएचओ दफ्तर के ठीक बगल से जिला अस्पताल की नई बिल्डिंग में महिला नसबंदी शिविर में अव्यवस्था नजर आई। ऑपरेशन के बाद टांके न खुलने पाए। जिसके लिए स्ट्रेचर के माध्यम से ही महिलाओं को वाहन तक भेजना था, लेकिन यहां पर इसके विपरीत ही तस्वीर नजर आई, जो महिलाएं चल सकती थी, परिजन उन्हें कंधे का सहारा देकर रैम्प से लेकर उतरे।
जिन महिलाओं को ऑपरेशन के बाद दर्द बढ़ जाने से अधिक तकलीफ रही। उन महिलाओं को पीठ और गोद का सहारा देकर परिजनों ने ऑटो तक पहुंचाया। अनदेखी का आलम यह रहा कि जिस किसी महिला के साथ पुरुष सदस्य नहीं पहुंचे थे। उन महिलाओं के हाथ और पैर पकडक़र साथ में गई महिलाओं ने सीढ़ी से उतारते हुए ऑटो में बैठाईं। सबसे अचरच की बात यह रही कि दोपहर के समय ही यहां पर अव्यवस्था हावी रही। इसके बावजूद स्वास्थ्य एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी का अमला इस मामले में किसी तरह से संवेदनशील नहीं बरता। 88 ऑपरेशन के लक्ष्य में 52 महिलाओं के ऑपरेशन हुए।
महज दो व्हीलचेयर का उपयोग
यहां पर महज दो व्हीलचेयर की नजर आए, जब ऑपरेशन के बाद इनका उपयोग अस्पताल में मौजूद कर्मचारियों ने किया। जिस हिसाब से महिलाओं की संख्या रही। उस हिसाब से व्हील चेयर की यहां पर उपलब्धता भी नहीं रही। परिजनों के साथ दर्द से कराहती हुई महिलाएं रैम्प उतरकर सबसे पहले अस्पताल के गेट तक पहुंची। यहां पर थोड़ी देर आराम करने के बाद फिर ऑटों में बैठीं। जिस किसी की भी नजर इस अव्यवस्था पर पड़ी। वह स्वास्थ्य महकमा को कोसता रहा।
ऑटो से घर पहुंची महिलाएं
परिवार नियोजन के प्रति जागरुकता शिविर में तो स्वास्थ्य विभाग का अमला तरह-तरह के दावे करता है। इसके बावजूद मैदान में इस दावे की हवा निकल गई। ठंड में अस्पताल के अंदर कंपकंपाने से अच्छा परिजनों ने जब महिलाओं को घर ले जाना चाहा, तो उन्होंने स्वयं ऑटो की व्यवस्था की। नई बिल्डिंग के सामने एकाएक ऑटो की कतार लग गई। आलम यह रहा कि ऑटो के बीच से बचते-बचाते महिलाओं को दूसरे वाहन तक परिजन लेकर गए।
शासन ने बनाए नियम
महिला नसबंदी शिविरों के लिए शासन ने नियम भी बनाए हैं। नियमों के मुताबिक एक डॉक्टर एक शिविर में 30 नसबंदी ऑपरेशन कर सकता है। एक ऑपरेशन करने में 5 से 20 मिनट का समय लगता है। सर्जन जिन्हें अधिक अनुभव होता है। वे इससे कम समय में भी ऑपरेशन करते हैं। एक महिला के ऑपरेशन के बाद ओटी को इन्फेक्शन मुक्त करना होता है। जिसके लिए समय लगता है। ऑपरेशन के पहले बीपी, शुगर के साथ अन्य जांचें किया जाना भी जरुरी है।