ओलावृष्टि मुआवजा वितरण में व्यापक अनियमितताएं
ओला गिरे कहीं और, मुआवजा दिया किसी और को ओलावृष्टि मुआवजा वितरण में व्यापक अनियमितताएं
डिजिटल डेस्क,सिवनी। बीते कुछ वर्षों में जिले में प्राकृतिक प्रकोप की काफी घटनाएं हुईं हैं जिसमें काफी किसानों को खासा नुकसान हुआ है। इस साल भी अनेक गांवों में ओलावृष्टि ने शुरुआत में ही कहर ढाया था। केवलारी क्षेत्र में दर्जनों गांवों में ओलों ने खेतों में खड़ी फसल को नुकसान पहुंचाया था। जिसके बाद प्रशासन ने मौका मुआयना कराकर मुआवजे का वितरण कराया था। अब इस मुआवजा वितरण में काफी गड़बडि़य़ां सामने आ रही हैं। केवलारी के मलारी और बिनैकी गांवों में दर्जनों किसान ऐसे हैं जिनके नाम से राशि निकाल ली गई लेकिन उन तक पहुंची ही नहीं। फर्जी खाते और फर्जी नामों के जरिए इस गोलमाल को अंजाम दिया गया। क्षेत्र के दूसरे गांवों में भी इसी तरह की गड़बडिय़ां सामने आ रही हैं। जिसकी शिकायत एसडीएम केवलारी को की गई है।
एक खसरा दो अलग नाम-
मुआवजा की इस राशि में कई तरह का गोलमाल किया गया है। गांव के मुरारी लाल पिता रिखीराम, रिखी राम पिता लालचंद नाम के दो किसानों के नाम पर ही एक सा खसरा दिखाते हुए एक ही खाते में भुगतान किया गया है।
फर्जी किसान के नाम से मुआवजा-
इसी प्रकार गिरजा पिता गणपत गढ़वाल को भी भुगतान किया गया है जबकि इस खसरे में इस नाम का कोई किसान है ही नहीं। इसी प्रकार खाली औरडायवर्टेड प्लाटों का भी सर्वे कर मुआवजा भुगतान कर दिया गया है। इस तरह के नामों में बंसत पिता दिमाकचंद का नाम शामिल है जिन्हे पांच हजार रुपए मुआवजा राशि का भुगतान किया गया है। जबकि बैंक में यह खाता बैजयंती बाई गोरखपुर (धनौरा) के नाम से दर्ज है। इसी प्रकार नजमा पति अब्दुल उस्मानी के नाम से साढ़े सात हजार रुपए मुआवजा स्वीकृत किया गया है लेकिन यह खाता भी बैंक में रूबी झारिया के नाम से दर्ज है। मनीषा पति मनीष जैन के नाम से 12 हजार रुपए की राशि स्वीकृत की गई लेकिन खाता लक्ष्मी बाई झारिया के नाम से है। ऐसे ही कई दूसरे उदाहरण हैं जिसमें नाम किसी का और खाता दूसरे का है। कई उदाहरण ऐसे भी हैं जिसमें जिन्हे मुआवजा दिया गया है वह जमीन ऑनलाइन किसी और के नाम से है। इनमें अनिल पिता शंकरलाल, सेमचंद पिता चेतराम आदि शामिल हैं। इसी प्रकार पंकज पिता राजकुमार को पांच हजार रुपए की राशि का भुगतान किया गया है जबकि जमीन संजय पिता जिले सिंह के नाम से है वही खाता अजय राजकुमार यादव के नाम से दर्ज है। अविनाश पिता बसंत को मुआवजा की राशि 5000 रुपए प्रदान की गई है। जबकि जमीन शिखरचंद पिता राधेलाल के नाम से है।
मृतकों को दे दिया मुआवजा-
गांव में श्यामवती बाई पति शिवराम को पांच हजार 540 रुपए दिए गए हैं जबकि उनका देहांत हुए पांच वर्ष हो चुके हैं। खाता किसी बबीता शिवकुमारी के नाम से है। उदाहरण और भी हैं। जिसमें नारायण सिंह पिता गोकल सिंह, रामेश्वर प्रसाद पिता भूदल आदि शामिल हैं। इसी प्रकार शिवकुमार पिता मंगल प्रसाद को मुआवजा दर्शाया गया है जबकि भूमि शिवकुमार पिता जिले सिंह के नाम से है। जबकि इसका खाता क्रमांक क्षति पत्रक या भुगतान पत्रक में नहीं है।
जमीन में भी हेराफेरी-
जहां अनेक खसरा नंबर ऑनलाइन दर्ज है ही नहीं उनके नाम से भी फसल क्षति का सर्वे कर मुआवजा बनाया गया है। जिनमें बसोड़ी लाल पिता लोकमत जाति बागरी को खसरा नंबर 03 का रकबा 01 हेक्टेयर का मुआवजा दिया गया है जबकि उक्त खसरा नंबर ऑनलाइन दर्ज ही नहीं है। उक्त किसान की कुछ भूमि रेलवे में अधिग्रहण हो गई है। ऐसे ही बलवान सिंह पिता मूलचंद को खसरा नंबर 66 का रकबा 0.89 का मुआवजा दिया गया है वह है ही नहीं। शिशुपाल पिता मूलचंद का खसरा नंबर 372/3 रकबा 1.07 है ही नहीं। इसी प्रकार सोनू पिता कपूरचंद को मुआवजा राशि 5000 रुपए प्रदान की गई है उसका खाता नंबर का उल्लेख ना ही क्षति पत्रक में दर्ज है और ना ही भुगतान पत्रक पर दर्शाया गया है।
इन दोनों गांवों में बरसों पहले मृत हो चुके लोगों को भी मुआवजा बांट दिया गया है। बजारी पिता निजाम को पांच हजार की राशि दी गई है जबकि उनकी मृत्यु 2001 में ही हो चुकी है।
प्रशासन को हुई शिकायत-
केवलारी के मलारी और बिनेकी गांव में मुआवजा वितरण के मामले में स्थानीय नागरिक संजीत बघेल ने एसडीएम को एक शिकायत की है। इसके अलावा क्षेत्र के दूसरे गांवों में भी इस तरह के मामले सामने आए हैं। अनेक नागरिकों ने अपने क्षेत्र में ओलावृष्टि के मुआवजा वितरण के मामले में गड़बडिय़ों की बात कही है।
अमित सिंह (एसडीएम केवलारी) का कहना है कि शिकायत प्राप्त हुई है। जिसका बिंदुवार परीक्षण और जांच कराकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।